● सिकंदर के मुकद्दर में टिकट
◆ राज्यसभा की टिकट से उभरे नए-नवेले समीकरण
◆ गज़ब का खेल, चली अनोखी रेल
◆ हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से ही एक लोकसभा तो दो राज्यसभा सांसद

। टॉप न्यूज़ हिमाचल।

आखिरकार, एक और पॉलिटिकल शॉट सरकार ने जड़ दिया और सियासत को जड़वत भी कर दिया। राज्यसभा के लिए डॉ सिकंदर कुमार का नाम आगे बढ़ाकर हमीरपुर के सियासी मरीजो का मर्ज और बढ़ा दिया। मूलतः हिमाचल के हमीरपुर जिले के बाशिंदे डॉ सिकंदर फिलवक्त हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर हैं। अब उनके राज्यसभा जाते ही हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से कुल तीन सांसद हो जाएंगे। लोकसभा में अनुराग ठाकुर, राज्यसभा में जेपी नड्डा और अब सिकंदर साहब। यह पहली दफा होगा कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र का राष्ट्रीय सियासत में पलड़ा इतना भारी हुआ है।

साल 2017 में प्रो धूमल की अप्रत्याशित हार के बाद से भाजपा का यह ऐसा आखिरी मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है,जो भाजपा के पलड़ों में जबरदस्त उठापटक की वजह बन सकता है। कायदे से बड़े नेता वही सियासी विचार प्रकट कर रहे हैं, जो जनता में पार्टी के वोटों के पलड़े को भारी रख सके। एक धड़ा कह रहा है कि अनुसुचित जाति को राज्यसभा में हिस्सेदारी देकर भाजपा ने संतुलन को बिठाया है। वहीं दूसरी तरफ से यह आवाज आ रही है कि खुद अनुराग ठाकुर ने अपना आशीर्वाद दिया है।

इन बयानों से ही यह सवाल उठ रहे हैं कि जब प्रदेश में सवर्ण आयोग का हल्ला उठा हुआ है तो ऐसे में जातिगत पलड़ा कैसे और किसकी सलाह से उठा ? जबकि अनुराग ठाकुर की सलाह का जब जिक्र आ रहा है तो यह सवाल सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ा हो जा रहा है कि अनुराग को घर मे ही ऐसा फैसला लेकर अपने लिए चुनौती खड़ी करने की क्या जरूरत थी ? राज्यसभा की टिकट से पॉलिटिकल वर्ल्ड के साथ लोक की सभा में कई सवाल खड़े हो गए हैं।

जाहिर सी बात है कि इस दौड़ में वो महेंद्र पांडे जैसा चेहरा भी पिछड़ गया है, जिनके खाते में जयराम ठाकुर के लिए सीएमशिप का रास्ता बनाने का खिताब जाता है। वो एक बार फिर हिमाचल के खाते से राज्यसभा सांसद बनने की दौड़ से पिछड़ गये हैं। ऐसे में यह सवाल भी बवाल पैदा कर रहा है कि आखिर सिकंदर साहब के मुकद्दर को कौन सीधा कर गया ? सरकार के आकार की चलती तो पांडे साहब का नाम जरूर रेस में चलता।

फिर ऐसा कौन खिलाड़ी है जो खेल भी खेलता रहा और एक साथ सबके साथ खेला कर गया ? सांसद खेल महाकुंभ तो चला ही हुआ है। हमीरपुर में तीन सांसद हो गए हैं। अब क्या इसके आगे भी कोई और बड़ा खेल होगा ? आसार तो यही बता रहे हैं कि अब भाजपा अनुसूचित कार्ड खेलने के बाद सवर्ण कार्ड भी खेलेगी। अगर सब संभावनाओं के मुताबिक रहा तो क्या भाजपा शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप के साथ कोई उठापटक वाला खेल खेलेगी ? कश्यप को पहले भाजपा ने अनुसूचित वर्ग के खाते से अपना प्रादेशिक सरदार बनाया था ।

  1. चार उपचुनावों में चारों खाने चित हुई भाजपा में हार के बाद से ही यह चर्चाएं जोर पकड़ गईं थीं कि कश्यप की रिप्लेसमेंट जल्द की जाएगी। अब कश्यप के नाम पर यानि अनुसूचित जाति के खाते से इसकी भरपाई सिकंदर कुमार कर रहे हैं। तो क्या यह माना जाए कि कश्यप का नम्बर डायल होने वाला है ? फिर उनकी जगह जल्द ही किसी और वर्ग का चेहरा भाजपा की सरदारी सम्भाल लेगा ? धूमल साहब के बिना भाजपा की सियासी “जून” भी दिसम्बर की तरह ठंडी नजर आती है। तो क्या …. ? आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिए। स्थान तभी रिक्त होते हैं जब सियासी विरक्ति से बचना हो । विरक्ति से बचने के लिए रिक्ति को दमदार नाम से भरना जरूरी होता है। गज़ब का खेल हो रहा है। जो कोई भी मास्टरमाइण्ड है,वो तौबा-तौबा टाइप का है। बस अब आगे-आगे देखिए होता है क्या ? खेल खेलने वाले ने कोई कमी नही रखी है,देखते हैं किस-किस के नसीब में क्या-क्या आता है… शिमला

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