राजा वीरभद्र सिंह की विरासत की फाउंडेशन को हिलाना कांग्रेस पार्टी में आ सकता है भूचाल
संपादकीय
देवभूमि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर मचा है बवाल
अनुसूचित जाति का अध्यक्ष बनाने का पैंतरा कांग्रेस पार्टी पर पड़ सकता है भारी
प्रदेश में अनुसूचित जाति के 27% लोग
वर्तमान में प्रतिभा सिंह है कांग्रेस की अध्यक्ष
राजा वीरभद्र की विरासत छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे हैं राजा वीरभद्र सिंह उनकी विरासत को चुनौती देना कांग्रेस पार्टी के लिए संभव ही नहीं कठिन भी है
प्रदेश के हर गांव में राजा वीरभद्र के चाहने वाले
प्रतिभा सिंह को संगठन से दूर रखने के लिए अनुसूचित जाति का पैंतरा
प्रदेश में राजा वीरभद्र सिंह फाऊंडेशन का हो चुका है गठन
हमीरपुर। देवभूमि हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में कांग्रेस की जो स्थिति बनी हुई है लगता है आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी में भूचाल की स्थिति आने वाली है। राजनीतिक पंडितों तथा बुद्धिजीवी वर्ग से बातचीत करने पर टॉप न्यूज हिमाचल की टीम को जो तथ्य मिले हैं तथा सूत्रों से जो जानकारी मिली है राजा वीरभद्र सिंह की विरासत को मिटाने की कोशिश करना किसी भी संगठन अथवा सरकार के लिए संभव नहीं है। राजा वीरभद्र सिंह आज भी लोगों के दिलों में राज करते हैं हर जगह उनके चाहने वालों की लंबी लाइन है लेकिन वक्त के साथ बहुत से लोग खामोश भी हो गए हैं। हमीरपुर जिला की बात करें तो जिला में मुख्यमंत्री कांग्रेस का होते हुए भी कांग्रेस पार्टी के लिए सुजान पुर हमीरपुर बड़सर तथा भोरंज में राहे आसान नहीं है। जिला का कांग्रेस का मुख्यमंत्री होने के बाद भी कांग्रेस पार्टी को सुजानपुर में उधार के प्रत्याशी से काम चलाना पड़ रहा है। सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा भी राजा वीरभद्र सिंह के कट्टर समर्थक रहे हैं। राजेंद्र राणा ने जो मांगा राजा वीरभद्र सिंह ने वह उन्हें दिया है। बड़सर की बात करें तो बड़सर में भी कांग्रेस पार्टी के साथ लगभग 40 वर्ष का नाता रहे नेता इंद्र दत्त लखनपाल राजा वीरभद्र सिंह की विरासत से जुड़कर ही विधानसभा में पहुंचे हैं तीन बार कांग्रेस पार्टी ने उन्हें टिकट दिया तथा विधानसभा में पहुंचे। राजा वीरभद्र सिंह ने न केवल लखनपाल को बल्कि उनकी धर्मपत्नी को भी नगर निगम का पार्षद बनने का मौका दिया। इस विरासत के सहारे बड़सर में इंद्र दत्त कांग्रेस पार्टी को मजबूत कर कर भारतीय जनता पार्टी के लाडले बन गए हैं। उनका कांग्रेस पार्टी छोड़कर जाना भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह तथा उनकी मित्र मंडली की अनदेखी का ही परिणाम रहा है। भोरंज की बात करें तो उसे विधानसभा क्षेत्र में भले ही सुरेश कुमार चुनाव जीत गए हैं परंतु कांग्रेस के लिए राहे आसान नहीं है। वहां आजाद प्रत्याशी मैदान में नहीं होता तो कांग्रेस के लिए जीत असंभव थी। इसी जिला के मुख्यालय सीट हमीरपुर पर आशीष शर्मा का कब्जा है जो वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हैं। पूर्व में भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस दोनों दलों को हराकर विधानसभा पहुंचे थे
हमीरपुर जिला में ही यह हाल है तो प्रदेश के अन्य जिलों का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। मंडी जिला में तो कांग्रेस पार्टी 10 सीटों में से एक सीट ही जीत पाई है। मंडी हमीरपुर को अलग कर दिए जाए तो आंकड़ा 15 सीटों का बनता है इसके अलावा शिमला लाहौल किन्नौर में भी राजा वीरभद्र सिंह की विरासत के बिना कांग्रेस की स्थिति सुखद नहीं है। राजा वीरभद्र सिंह की विरासत को ललकारने की कोशिश की गई तो सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस पार्टी में विघटन भी हो सकता है। जो कांग्रेस पार्टी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। राजा वीरभद्र सिंह की विरासत प्रदेश भर में मानी जाती है। चाहे चाहे किसी गांव की बात कर ली जाए अथवा शहर की हर जगह राजा वीरभद्र की विरासत का बोलबाला है। कांगड़ा जिला की बात करें तो कांगड़ा जिला में सुधीर शर्मा भले ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं परंतु राजा वीरभद्र सिंह के उनका परिवार काफी करीब रहा हुआ है। मंडी कांगड़ा शिमला हमीरपुर में पार्टी में विघटन का अर्थ है पार्टी को भारी नुकसान। राजा वीरभद्र सिंह फाऊंडेशन समाज सेवा के कार्यों में भी पर चढ़कर योगदान दे रही है। मंडी में आपदा प्रभावित लोगों के लिए भी उन्होंने लाखों रुपए का डोनेशन दिया है। प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की संगठन को लेकर जो घमासान बचा हुआ है समय रहते कांग्रेस पार्टी ने इस पर अंकुश नहीं लगाया तो कांग्रेस पार्टी को प्रदेश में बड़ा झटका लग सकता है। वर्तमान में कांग्रेस की सरकार को लेकर भले ही आम जनता अभी खुलकर नहीं बोल रही है परंतु स्थिति सुखद नहीं है। महिलाओं को ₹1500 देने का कांग्रेस का वायदा झूठा साबित हुआ है। प्रदेश भर में 14 लाख बेरोजगार तथा 10 लाख छुपे हुए बेरोजगार जिसे छुपी हुई बेरोजगारी कहते हैं रोजगार की तलाश में है।
कांग्रेस पार्टी के हाई कमान को भी समय रहते ध्यान देना होगा वरना बही हालत हो जाएगी अब पछताए क्या होता है जब चिड़िया चुग गई खेत।
हमारी राय से आप सबका सहमत होना जरूरी नहीं है आपकी क्या राय है कमेंट जरुर करें। वीरभद्र सिंह की विरासत को अगर चुनौती दी जाती है तो आप लोगों को क्या लगता है कांग्रेस पार्टी का भला हो सकता है।
मुख्य संपादक सतीश शर्मा विट्टू देवभूमि हिमाचल प्रोफेशनल जर्नलिस्ट ऑर्गेनाइजेशन हिमाचल प्रदेश एवं टॉप न्यूज समूह।

