माननीय राजा साहिब को सन्तोष की अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि
वह राजा था
सही में राजा
जब भी कोई आता था
उम्मीद से उसके दर पर ,
कभी ख़ाली हाथ न जाता था ।
नेता तो बहुत हुए
लेकिन राजा साहिब सा कोई विरला ही हुआ
हिमाचल की राजनीति का सबसे गहरा स्तम्भ
था वह घने बरगद की तरह ,
जिसके छाँव में अनेकों को राहत मिली ।
आवाज़ थीं वह सहानुभूति की ,
मसीहा था वह आमजन का
वह राजा था
सच में आज के दौर का राजा था ।
बचपन में बहुत कहानियाँ पढ़ी थीं
बहादुर और दयावान राजाओं की
पर इस कहानी की साक्षी है सन्तोष
आज राजा के जाने का है बड़ा अफ़सोस ।
दूरगामी दृष्टा , था वह धुरंधर वक्ता ।
सबको साथ लेकर था चलता ।
आज उसके जाने पर हर आँख नम होगी ,
मरने पर भी महानता कम न होगी ।
वह तो राजा था
पारखी हर नज़र का
कोमल हृदय ,
वाणी का खरा था ।
जब कोई आता था
उम्मीद के साथ
ख़ाली हाथ न जाता था ।
🙏🙏🙏
सन्तोष गर्ग