हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन के लिए सूक्ष्म भूकंप भी जिम्मेदार
शिमला।टॉप न्यूज़। सतीश शर्मा। हिमाचल प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर जो पहाड़ दरक रहे हैं भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं उसके लिए सूक्ष्म भूकंप दोषी हैं जो बड़ी संख्या में हिमाचल में पहाड़ों के दरकने के कारण है। उत्तराखंड में भी यह समान रूप से लागू होता है। चमोली, रुद्रप्रयाग , उत्तरकाशी भी संवेदनशील जोन में आते हैं।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, मंडी, शिमला, सरकाघाट, आनी, हमीरपुर,ऊना, कांगड़ा सहित कई जिलों में भारी नुकसान हुआ है।
वाडिया भूविज्ञान संसथान के वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है। अनेक स्थानों पर हिमाचल प्रदेश में भारी तबाही हुई है। वाडिया के वैज्ञानिक नरेश कुमार का शोध एशियन अर्थ सांइस में प्रकाशित हुआ है। काबिल गौर है की नरेश कुमार हमीरपुर जिला के बड़सर विधानसभा क्षेत्र की पिछड़ी पंचायत सठवीं के रहने वाले हैं। अपनी कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने उपलब्धि हासिल की है। हमीरपुर डिग्री कालेज में उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की थी। 1992 में हमीरपुर कालेज से पासआउट हुए थे।
नरेश कुमार के शोध में स्पष्ट किया है की कुल्लू, किन्नौर,शिमला व कांगड़ा जोन 4 व जोन 5 गंभीर तीव्रता मे़ आते हैं।
वैज्ञानिक नरेश कुमार ने टाप न्यूज़ से विशेष बातचीत में बताया की हिमाचल प्रदेश में बहुमंजिला इमारतों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। भूकंप रोधी भवन बनाए जाने चाहिए। सुक्ष्म भूकंप भूस्खलन के लिए धीमा जहर है। हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन को रोकने के लिए बहुमंजिल भवनों पर रोक नहीं लगाई तो भविष्य में हिमाचल प्रदेश में काफी नुकसान होगा।
किन्नौर क्षेत्र में सुक्ष्म भूकंप की निगरानी के लिए जो स्टेशन बनाया गया है उसमें 2008से 2012के बीच सुक्ष्म 450 भूकंप नोट किए गए।
1905में कांगड़ा में भूकंप 7.8 तीव्रता से भारी तबाही हुई थी। किन्नौर में 6.8 भूकंप तीव्रता का भूकंप 1976 में आया था। 1991में चमोली में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था। कश्मीर में भी भूकंप से भारी तबाही हुई हुई है। इसके अलावा गुजरात में भी भारी भूकंप 26जनवरी को आया था। नेपाल में भी भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी।