संपादकीय
पहचान तो सबसे है लेकिन भरोसा आज भी अपनी लेखनी पर है सतीश शर्मा विट्टू प्रधान संपादक टॉप न्यूज मीडिया प्लेटफॉर्म
हिमाचल के शिपकी ला दर्रा से भारत चीन व्यापार शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के प्रयासों की सराहना
मुख्यमंत्री का सोशल मीडिया स्टाफ, पब्लिक रिलेशंस डिपार्मेंट तथा उनके मंत्री उनकी उपलब्धियां पर चुप क्यों रहते हैं समझ से परे है।
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पहचान तो सबसे है लेकिन भरोसा आज भी अपनी लेखनी पर है आप भी पढ़ें इस लेख को
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह हिमाचल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं हमें गर्व है उनकी योग्यताओं पर व्यक्तिगत तौर पर मेरी उनके साथ पहचान भी है कई बार मिलना भी हुआ है परंतु अपना कोई काम कभी उन्हें बताया नहीं।
प्रेम कुमार धूमल, अनुराग सिंह ठाकुर, जेपी नड्डा, डाक्टर सिकंदर, विक्रमादित्य, जयराम ठाकुर साहित अनगिनत नेता हैं जिनके साथ जान पहचान अच्छी है परंतु आज भी भरोसा अपनी लेखनी पर है।
जो लोग मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह को लेकर बातें करते हैं उन लोगों को भी इस लेख को जरूर पढ़ना चाहिए। हम मुख्यमंत्री की पीआर एजेंसी नहीं चलाते हैं न ही आज तक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह से ₹1 का विज्ञापन की मांग की है परंतु सच्चाई तो यही है। लाजवाब है मुख्यमंत्री के कार्य।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह की बड़ी सफलता की कहानी चीन के साथ शुरू होगा शिपकी ला दर्रा से भारत चीन व्यापार
शिपकी ला दर्रा से भारत-चीन व्यापार की वर्तमान स्थिति काफी सकारात्मक है। हाल ही में चीन ने सिद्धांत रूप में शिपकी-ला दर्रे से व्यापार फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है, जो 2020 में कोविड महामारी के कारण ठप हो गया था। इस सहमति के बाद अब दोनों देशों के बीच इस मार्ग से आर्थिक गतिविधियों के फिर से शुरू होने की संभावना बढ़ गई है।
*व्यापार के लाभ*
– दोनों देशों को सालाना 5-6 अरब डॉलर का लाभ होने की उम्मीद है।
– दुर्लभ खनिजों और उर्वरकों की आपूर्ति में सहयोग बढ़ेगा।
– भारत को चीन से दुर्लभ धातुओं की आपूर्ति मिलेगी, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा और ऊर्जा उद्योगों में उपयोगी हैं।
– भारत चीन को फॉस्फेट और पोटाश आधारित उर्वरक उपलब्ध कराएगा ।
*आगे की योजना*
– हिमाचल सरकार अब केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय से औपचारिकताएं पूरी करने के लिए संपर्क करेगी।
– शिपकी-ला दर्रे के अलावा, उत्तराखंड के लिपुलेख और सिक्किम के नाथु-ला दर्रे से भी व्यापार फिर से शुरू करने की योजना है।
– कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भी शिपकी-ला मार्ग को फिर से खोलने की संभावना है ²।
*चीन पर निर्भरता*
– भारत को चीन पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता है, क्योंकि 2024-25 में व्यापार घाटा 100 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है।
– भारत को गहन विनिर्माण में निवेश करना होगा और घरेलू स्तर पर मजबूत उत्पादक देश बनना होगा ।
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शिपकी ला दर्रा हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग है, जो भारत को तिब्बत से जोड़ता है। इसका ऐतिहासिक महत्व, विशेष रूप से भारत-चीन व्यापार के संदर्भ में, बहुत अधिक है। यह दर्रा प्राचीन काल से ही एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग रहा है, जो भारत और तिब्बत के बीच व्यापार को सुगम बनाता था।
*शिपकी ला दर्रे का इतिहास और महत्व:*
– *भारत-चीन व्यापार*: शिपकी ला दर्रा 1993 से भारत-चीन व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग रहा है, जहां से स्थानीय व्यापारिक गतिविधियां संचालित होती थीं।
– *प्राचीन व्यापार मार्ग*: यह दर्रा प्राचीन काल से ही एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग रहा है, जो भारत और तिब्बत के बीच व्यापार को सुगम बनाता था।
– *सामरिक महत्व*: शिपकी ला दर्रा सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत-चीन सीमा पर स्थित है।
*वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाएं:*
– *व्यापार पुनः आरंभ*: हाल ही में भारत और चीन ने सीमा व्यापार फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है, जिसमें शिपकी ला दर्रे को भी शामिल किया गया है।
– *पर्यटन को बढ़ावा*: हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिपकी ला दर्रे को पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय लिया है, जिससे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
– *आर्थिक विकास*: शिपकी ला दर्रे के माध्यम से व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने से क्षेत्र के आर्थिक विकास में मदद मिलेगी।
*निष्कर्ष:*
शिपकी ला दर्रा भारत-चीन व्यापार और पर्यटन के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है, जिसका ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है। इसके पुनः आरंभ होने से क्षेत्र के आर्थिक विकास में मदद मिलेगी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

