बाबा बालक नाथ मंदिर में बकरा कांड चर्चा में
हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं लेकिन सूरत बदलनी चाहिए
बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध बकरों की नीलामी पर उठे सवाल
हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार नीलामी के लिए अधिकृत हैं अधिकारी लेकिन कर्मचारी ने हीं कर दी नीलामी
बड़सर। बाबा बालक नाथ मंदिर उत्तरी भारत का प्रसिद्ध सिद्ध पीठ है इस मंदिर की आय करोड़ों रुपए है लेकिन अव्यवस्था का आलम यह है कि बाबा बालक नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए बकरों को नीलम करने में सारे नियम तक पर रख दिए गए बताया जा रहा है कि करीब तीन दर्जन बकरों की नीलामी की गई जिसमें 60000 में ही बकरों को नीलम कर दिया गया जबकि हकीकत में एक बकरा हजारों रुपए में बिकता है लेकिन मिली सूचना के अनुसार एक कर्मचारी ने औने पौने दामों में बकरों को नीलाम किया। प्रदेश हाईकोर्ट ने नीलामी के लिए निर्देश दिए थे कि जब भी नीलामी की जाएगी उसमें एसडीएम, डीएसपी तथा अन्य कर्मचारी उपस्थित रहेंगे लेकिन सब नियमों को त्याग कर बहुत कम रेट में बकरा बेच दिए गये।
क्यों आईं नौबत
पूर्व में जब भी बकरा भेजे जाते हैं उसमें ट्रस्ट के ट्रस्टी भी कमेटी में शामिल होते हैं लेकिन गैर सरकारी ट्रस्ट के सदस्यों को हटा दिया गया है जिसका कारण कांग्रेस पार्टी के विधायक रहे लखनपाल भाजपा में जब शामिल हो गए तो उनके समर्थकों को भी उस ट्रस्ट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। भले ही जो ट्रस्टी हटाए हैं उनमें से अधिकतर आज भी कांग्रेस के ही सदस्य हैं।
इस मामले में बताया जा रहा है कि जिलाधीश को भी शिकायत की गई है उसके बाद भी प्रशासन हरकत में आया है। नीलामी की वीडियो फुटेज तथा अन्य रिकार्ड भी तलब किया गया है।
क्यों है ऐसी व्यवस्था
पिछले 4 सालों से बाबा बालक नाथ मंदिर में स्थाई मंदिर अधिकारी सरकार नियुक्त नहीं कर पाई है। इस वजह से अव्यवस्था का आलम है।
मंदिरों की अनदेखी को लेकर सरकार की खामोशी समझ से परे है। बाबा बालक नाथ न्यास करोड़ों रुपए सरकार को भी दान में देता है। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 10 करोड रुपए सरकार वह न्यास की ओर से दिए गए हैं। जबकि हाई कोर्ट का दिशा निर्देश है कि मंदिर का पैसा श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर खर्च किया जाए लेकिन हाई कोर्ट के निर्देशों को भी ठेंगा दिखाया जा रहा है। बाबा बालक नाथ बकरा कांड लोगों में चर्चा में है। मुख्यमंत्री को भी इस मामले में कड़ा संज्ञान लेने की जरूरत है तथा दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए।
बकरों को क्यों किया जाता है नीलम
बाबा बालक नाथ मंदिर में श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर सोना चांदी तथा अन्य सामान के अलावा बकरे भी चढ़ाते हैं। जन श्रुति है कि जब बाबा बालक नाथ सह तलाई से गुफा में आए थे तो वहां पर गुफा में राक्षस रहता था। बाबा ने राक्षस को गुफा खाली करने के लिए कहा तो राक्षस ने बाबा से प्रार्थना की की आपके लिए तो भक्त रोट प्रसाद लेकर आएंगे लेकिन मेरा क्या होगा। कहा जाता है कि बाबा बालक नाथ ने राक्षस को वरदान दिया था कि जिन श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होगी वह अपनी खुशी से आपके लिए बकरा लेकर आएंगे तथा मेरे लिए रोट प्रसाद। लेकिन जो बकरे चढ़ाए जाएंगे उन्हें मंदिर में काटा नहीं जाएगा। महंत परंपरा से लेकर अब तक मंदिर में बकरे चढ़ाए तो जाते हैं लेकिन उन बकरों को काटा नहीं जाता है इसीलिए ट्रस्ट द्वारा बकरों को नीलम कर दिया जाता है। इस नीलामी से जुड़ा मामला है वर्तमान बकरा कांड।