1998 से 2022 तक अधीनस्थ सेवाए चयन बोर्ड से कर्मचारी चयन आयोग तक का सफ़र
व्यवस्था परिवर्तन
राज्य चयन आयोग बनेगा रास्ता साफ विधानसभा में बिल होगा पेश
शिमला/हमीरपुर। सतीश शर्मा विट्टू।
हिमाचल प्रदेश जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है लेकिन अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड तथा हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग का पटाक्षेप हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने संस्था को शुरू करवाया था युवाओं को तत्काल भर्ती प्रक्रिया पूरी का रोजगार देने के लिए लेकिन जब एक ही पद पर कई कई साल अधिकारी रहते हैं बेलगाम होते है तो परिणाम ऐसे ही आते हैं। हमीरपुर में इस संस्था में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ। पर्दा हटना शुरू हुआ तो सनसनी बढ़ी। पेपर लीक के मामलों में जमकर फजीहत हुई। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को बड़ा फैसला लेना पड़ा इस संस्था को बंद करने का लोगों ने विरोध भी किया लेकिन व्यवस्था परिवर्तन के लिए जो जरूरी था मुख्यमंत्री ने व्यवस्था बदली है। इसकी जगह अब राज्य चयन आयोग गठित होगा जिसमें इस तथा हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक अधिकारी जिम्मा संभालेंगे। अब व्यवस्था ऐसी बनी चाहिए कि युवाओं का विश्वास भी उसमें बढे। हिमाचल प्रदेश में नौकरियों के लिए युवाओं में काफी क्रेज रहता है। सरकार के 9 महीने पूरे होने के बाद राज्य चयन आयोग का गठन होगा इसमें भारती का सिलसिला शुरू होगा युवाओं को आश तो जगी है। प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन का दौर शुरू है कई विभागों में व्यवस्थाएं बदली है। जो लोग मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का विरोध भी कर रहे हैं वह स्वाभाविक है राजा वीरभद्र छह बार मुख्यमंत्री रहे उनके धुर विरोधी रहे पंडित सुखराम, विप्लव, विद्या स्टोक्स बाली, सहित विरोध करते भी रहे राजा वीरभद्र ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को भी इसी कैटेगरी में रखा था विधायक बनने के बाद कभी उन्हें सरकार में बड़ा पद नहीं दिया। संगठन में सुखविंदर सिंह सुक्खू को अपने बल पर प्रदेश अध्यक्ष का दो बार प्रतिनिधित्व करने का मौका भी मिला। समय के साथ बाजी पलटी अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हैं। लोग तो विरोध करते हैं। लेकिन आम जनता के लिए मुख्यमंत्री ने लोकहित के फैसले लिए हैं। विरोध करने वाले भले ही विरोध करते रहे लेकिन मुख्यमंत्री बेहतर तरीके से राजनीति में आगे बढ़ रहे हैं विरोधियों को तो हर कोई ठिकाने लगाता है। आने वाले समय में प्रदेश हित के कई निर्णय लोगों को देखने को मिलेंगे

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