विधायक इंद्र दत्त लखन पाल का कार्यकर्ताओं के बीच फूट फूटकर रोना
अपना दुखड़ा सुनाना

आपने सौतन की बेटी फिल्म का वह गाना तो सुना होगा कौन सुनेगा किसे सुनाएं इसलिए चुप रहते हैं अपने हमसे रूठ ना जाए इसलिए चुप रहते हैं। नहीं सुना है तो सुन लेना यूट्यूब पर भी मिल जाएगा।

बड़सर/ बिझडी। सतीश शर्मा विट्टू। बाबा बालक नाथ की तपोस्थली रही दियोटसिद्ध समीपवर्ती क्षेत्र में कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन का आगाज किया गया जिसमें तीसरी बार जीत कर विधानसभा पहुंचे इंद्रदत लखनपाल ने विधानसभा कार्यकर्ताओं के बीच अपनी बात रखने के लिए मंच संभाला हमने लाइव के मोर्चे पर अपना काम शुरू कर दिया। सिलसिलेवार लाइव कवरेज चल रही थी। लाइव कवरेज में एक मौका ऐसा आया जब विधायक अपने दिल में रखे दर्द को दबा नहीं सके उन्होंने मनसे अपनी बात रखी आंखों से आंसू टपकना शुरू । ऐसा समय भी आया जब विधायक ने अपने दोनों हाथ आंखों पर रखें बरबस निकल रहे आंसुओं को रोकने के लिए जब विधायक के आंसू टपक रहे थे पत्रकार पत्रकारिता की धर्म से भावुक होकर मेरी आंखों से भी बरबस आंसू निकलना शुरू हो गए। क्या था विधायक का दर्द बहुत से लोग जानना चाहते हैं विधायक ने बताया लोग कहते हैं मेरा होटल है मेरा कोई होटल नहीं है मेरा कोई व्यापार भी नहीं है पिछले 45 सालों से जनता की सेवा कर रहा हूं। दिन-रात सेवा करता हूं 10 तारीख को मेरी तनख्वाह खत्म हो जाती है मैं लोगों में बांट देता हूं। आप मेरी खाते भी चेक कर सकते हैं। मेरे पास विधानसभा क्षेत्र में कोई घर भी नहीं है मैं किराए के घर में रहता हूं लेकिन इसका कोई गिला नहीं है। जब अन्य विधायकों के साथ अपनी तुलना करता हूं किसी ने क्रेशर लगाए हैं कोई अन्य कार्य कर रहे हैं। मैं अपने परिवार को भी समय नहीं दे पाता हूं। मुझे छोड़कर कुछ  कार्यकर्ता चले गए उनकी महत्वकांक्षी हो सकती है वह लंबी छलांग लगाना चाहते हैं लगाएं मुझे कोई गिला भी नहीं है। जब कोई कार्यकर्ता मुझे गाली निकालता है तो मैं उससे भी नाराज नहीं होता क्योंकि उसका अधिकार है वह मुझे प्यार करता है इसलिए गाली देता है। जिस प्रकार कार्यकर्ताओं की मेरे से उम्मीदें हैं वह मेरे साथ बात कर लेते हैं मैं किसके साथ सांझा करूं। उन्होंने कहा कि सरकार बनने के बाद सबसे बड़ी समस्या कर्ज की है। हम व्यवस्था सही करने में लगे हैं। जिस प्रकार कार्यकर्ताओं की इच्छाएं हैं मेरी भी इच्छाएं हैं लेकिन किसे सुनाऊं अपने दिल का हाल। कार्यकर्ता खामोश रहते हैं जब विपक्ष के लोग ताने कसते हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में डटवाल की अनदेखी का रोना रोया गया जबकि राजा वीरभद्र सिंह ने ढटवाल का अथाह विकास करवाया है। विधायक इंद्रदत लखनपाल जब इन सब बातों को कह रहे थे कार्यकर्ताओं के बीच उनकी धर्मपत्नी उषा लखनपाल भी प्रथम पंक्ति में बैठी थी महिलाओं के बीच। पत्नी जीवन में सब कुछ सहन कर सकती है लेकिन अपने पति को रोता हुआ नहीं देख सकती वह भी अपने कार्यकर्ताओं के बीच फूट फूट कर रोना कार्यकर्ता विधायक का दर्द समझेंगे अथवा विपक्ष इस पर क्या तंज कसे गा हमें इसकी परवाह नहीं। पत्रकारिता का फर्ज है सच्चाई को जनता के बीच ले जाना। हमने इस खबर में छोटा सा प्रयास किया है लाइव करती बार तो विधायक के आंसुओं के अलावा मेरी तथा कार्यकर्ताओं के आंसू बहे थे लेकिन खबर लिखती बार भी भावनाओं पर काबू नहीं रहा आंसू टपकते रहे। इस खबर को अधिक से अधिक शेयर करें।वि

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