अभी भी आंखें खोलो सरकार स्थायीकरण कर दो अब की बार
लटक रहे कई बरसों से, तड़प मिटा दो इस बार
वायदा किया है आपने, आश्वासन दिए कई बार
हो ही जाए जय श्री राम इस बार
अब तो आंखें खोलो सरकार, स्थायीकरण कर दो इस बार।
सहमे हुए हैं बरसों से, झटके के मिले हैं कई बार
चाह नहीं प्रतिकार की, सपने हो साकार
जुड़े रहेंगे सरकार से, पुनवरिति करेंगे इस बार
अब तो आंखें खोलो सरकार, पालसी में ला दो इस बार।
विनती करते 1700, प्रार्थना करते हैं सपरिवार।
जिए हम सम्मान से, मिले हमें यह अधिकार।
आस लगा रहे दो दशकों से, जयराम कर दो इस बार
अब तो आंखें खोलो सरकार, स्थायीकरण कर दो इस बार
सुभाष चौहान
एचसी हमीरपुर।

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