विशाल टैक्सी आपरेटर के अधयक्ष से लेकर 5 बार भाजपा का टिकट लेकर भाजपा जिलाध्यक्ष का सफर पूर्व विधायक बलदेव शर्मा का सफरनामा
सतीश शर्मा। हिमाचल प्रदेश के पुनर्सीमांकन से पूर्व नादौनता विधानसभा क्षेत्र के युवा ्वलदेव शर्मा का बचपन संघर्ष में बीता। लम्हें संघर्ष की कहानी की शुरुआत हम 1998 के चुनाव से पूर्व से करते हैं। मेरे साथ उनकी मुलाकात दीनदयाल उपाध्याय कालेज बड़सर में हुई। पहली मुलाकात जो 1996 में हुई उस समय पत्रकारिता में मैं सक्रिय तौर पर जुडा था। विशाल टैक्सी आपरेटर यूनियन जो शिमला में लिफ्ट के समीप जिसका हेड आफिस था। बलदेव को भाजयुमो का हमीरपुर जिला के संगठन का दायित्व दिया गया। लगातार शिमला से उन्होंने बड़सर आना शुरु किया। भाजपा से जुड़ने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा निरंतर भाजपा की सेवा करते रहे ज्वालामुखी में जब भारतीय जनता पार्टी के दो गुटों में जमकर संघर्ष हुआ तो बलदेव शर्मा ने हमीरपुर जिला के प्रेम कुमार धूमल का जमकर साथ देकर साबित कर दिया कि वह चट्टान की तरह धूमल के साथ खड़े हैं। उस समय पूर्व विधायक राम रतन का डंका बजता था शांता कुमार के बे भक्त थे। r.s.s. से जुड़े रहे थे तथा कई बार जेल भी गए थे। लेकिन जब विधानसभा टिकट की 1998 में बारी आई तो राम रतन का टिकट काटकर बलदेव शर्मा को थमाया गया। युवाओं की फौज इंतजार ही कर रही थी बलदेव शर्मा को सबसे ज्यादा एकजुटता का साथ कहीं से मिला तो वह दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज के 1 दर्जन से अधिक पोस्ट ग्रेजुएट जो यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी कर दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज बड़सर में अपनी सेवाएं दे रहे थे जो इस विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न गांवों से संबंध रखते थे उन्होंने अन्य युवाओं को जो इस विधानसभा क्षेत्र में पढ़ाई कर विभिन्न विश्वविद्यालयों से लौटे थे उन्हें एकत्रित किया तथा भाजपा का जमकर साथ दिया। भाजपा के संगठन में उसमें जो पुराने कार्यकर्ता थे उनमें से अधिकतर बलदेव शर्मा के विरोध में थे लेकिन प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व तथा बलदेव युवा को टिकट मिलने से लोग उत्साहित थे। 1998 के चुनाव में मुकाबला राजा वीरभद्र के कट्टर समर्थक मनजीत सिंह डोगरा से था। लेकिन चुनाव से ऐन वक्त पूर्व एक शराब कांड ने पासा पलट दिया। मीडिया में या दर्शाया गया कि जो शराब पकड़ी गई है वह मंजीत सिंह डोगरा की थी जो चुनाव के दौरान वितरित करनी थी परंतु वास्तव में वह डोगरा की नहीं थी। गलोड क्षेत्र के एक व्यापारी की थी। इस चुनाव में बलदेव शर्मा साडे 4 हजार से अधिक मतों से चुनाव जीत गए। उसके बाद लगातार तीन बार वह विधायक रहे। प्रेम कुमार धूमल 1998 के चुनाव में मुख्यमंत्री बने उसमें भी शिमला में निचले हिमाचल से शिमला पहुंचे कांग्रेस पार्टी के लोगों ने जमकर भाजपा के लोगों पर हमला किया भाजपा के लोगों की गाड़ियां तोड़ी। जमकर तांडव हुआ था वह तांडव हमने अपनी आंखों से देखा था तथा उसके हम गवाह बने थे। जान बचाकर विधानसभा क्षेत्र के के युवा अपने घरों में पहुंचे थे। राजा वीरभद्र सिंह उस समय काफी ताकतवर थे लेकिन पंडित सुखराम ने हिविंका से चुनाव लड़ा था तथा उनके कई विधायक जीत कर आए थे पंडित सुखराम ने प्रेम कुमार धूमल का साथ दिया तथा वीरभद्र सिंह को कुर्सी से उतारा गया। लगातार तीन विधानसभा के चुनाव बलदेव शर्मा ने जीते। 2012 का जब चुनाव आया तो कांग्रेस की गुटबाजी चरम सीमा पर थी लेकिन शिमला में बलदेव शर्मा के ही मित्र रहे इंद्र दत्त लखनपाल को कांग्रेस पार्टी ने बड़सर से विधानसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाया। इंद्र दत्त लखन पाल ने सभी कांग्रेसियों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की तथा 2012 का विधानसभा चुनाव इंद्र दत्त लखन पाल जीत गए। 2017 के चुनाव में मुकाबला फिर बलदेव शर्मा तथा इंद्र दत्त लखन पाल के बीच में हुआ इस चुनाव में बलदेव शर्मा 439 वोटों से चुनाव हार गए बलदेव शर्मा ही चुनाव नहीं हारे बल्कि हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री के कैंडिडेट प्रेम कुमार धूमल बी 1919 वोटों से चुनाव हार गए। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती का भी जनता ने पत्ता काट दिया। 2022 के चुनाव इस साल के अंत में होंगे। अब स्थितियां बदली हुई है बलदेव शर्मा वर्तमान में भाजपा के जिलाध्यक्ष हैं। लगातार दो चुनाव हार चुके हैं।
प्रेम कुमार धूमल तथा केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ बलदेव शर्मा चट्टान की तरह खड़े रहे हैं। बलदेव के समर्थकों का आज भी मानना है कि दो बार चुनाव हारने के बाद भी पार्टी उन्हें तीसरी बार टिकट देगी 1998 से लेकर 2017 तक पार्टी ने उन्हें 5 बार टिकट दिया। पिछले विधानसभा चुनावों में तो पार्टी की तरफ से उनकी धर्मपत्नी माया शर्मा को भी टिकट दिए जाने का ऑफर मिला था। बलदेव शर्मा को सबसे अधिक नुकसान पुनर सीमांकन का हुआ है घिरोर क्षेत्र की जो पंचायतें नादौन विधानसभा क्षेत्र में चली गई है उनसे बलदेव शर्मा को अच्छी-खासी लीड़ मिलती थी। अब समीकरण बिल्कुल बदल गए हैं बलदेव शर्मा ने बड़सर में अपना आवास बना लिया है। आवास बनाने वाले विधायकों की कहानी भी अलग ही है जिसने मैहरे में विधायक बनने के बाद मकान बना लिया जनता ने राजनीति से उसकी सदा के लिए छुट्टी कर दी। ऐसे विधायकों में मनजीत सिंह डोगरा, पूर्व विधायक राम रतन शर्मा प्रमुख है। भाजपा इस बार किसे प्रत्याशी बनाएगी शायद भाजपा को भी अभी तक स्पष्ट नहीं है
टिकट के दावेदारों में कई नेता खड़े हैं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विनोद ठाकुर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के काफी नजदीकी है तथा भाजपा की केंद्र तथा राज्य सरकार की नीतियों को जन जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे है। दूसरे प्रत्याशी मुकाबले के लिए कमलनयन जो कांगड़ा कृषि सहकारी ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष हैं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भाजपा के संगठन से जुड़े हैं। इसके अलावा मोदी मिशन अगेन के हिमाचल के अध्यक्ष संजय ठाकुर भी इसी विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखते हैं तथा चुनाव लड़ने के लिए उनका नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा हिमाचल प्रदेश से संबंध रखते हैं तथा मिशन रिपीट को लेकर सक्रिय हैं। पार्टी किसको टिकट देगी फिलहाल यह भी तय नहीं है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी तथा देवभूमि जनहित पार्टी तथा बहुजन समाज पार्टी अपने प्रत्याशी मैदान में उतारेगी। कौन जीतेगा कौन हारेगा वक्त ही बताएगा लेकिन पिछले 25 सालों से बलदेव शर्मा भाजपा के संगठन से जुड़कर पार्टी की सेवा तो कर ही रहे हैं।