अध्यापकों का मान सम्मान जरूरी कैबिनेट मंत्री के बिगड़े बोल

इंद्र दत्त lakhanpal अध्यापकों के पक्ष में उतरे

हमीरपुर।

हमलोग पहले भी भारतीय जनता पार्टी के जनमंच को झंडमंच कहते रहे हैं। विभिन्न विभागों के अफसरों को बुला कर उन्हें जनता के समक्ष प्रताड़ित करना इस मंच की खासियत रही है। मैं व्यक्तिगत तौर पर इस व्यवस्था से बिलकुल सहमत नहीं हूँ। मेरे निवास पे मैं रोज़ बहुत विधानसभा वासिओं की समस्याएं सुनता हूँ। कोशिश यही रहती है कि समस्याओं का निवारण तुरंत हो जाए ताकी लोगों को रोज़ चक्कर न लगाने पड़े। इनमें से कई समस्याएं विभागीय भी होती हैं। बहुत विभागों के बहुत अफसरों से सवाल करने पड़ते हैं। मगर उनका पक्ष सुनना भी उतना ही ज़रूरी होता है। कई बार लोकल लोग ही काम रुकवाते हैं , कई बार सरकार की ओर से पर्याप्त फण्ड नहीं जारी किया जाता , कई बार स्टाफ का अभाव रहता है तो कई बार ऊपर से दबाव भी होता है। ये लोग बहुत मेहनत से सरकारी नौकरी पाते हैं। मैं जिन भी अधिकारिओं से मिलता हूँ उनमें से अधिकतर काम भी करना चाहते हैं , मगर मजबूरियां रहती हैं। मैं ये नहीं कह रहा के सब अधिकारी ठीक हैं और इनसे सख्ती हो ही ना। लेकिन पक्ष सुना जाना चाहिए , जांच की जानी चाहिए और उसके बाद जो ज़रूरी हो वो कार्यवाही भी की जानी चाहिए। 500 लोगों की भीड़ में शिकायत मिलने पर किसी को सुना देना , उसके ऊपर चिल्लाना और नौकरी से निकालने की धमकी देना सरासर गलत और निंदनीय है।
आज एक वीडियो भी वायरल हुआ है जिसमें राज्य सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री कह रहे हैं कि सरकारी अध्यापकों ने कोरोना काल में मज़े किये। काम केवल जल शक्ति विभाग ने किया। जल शक्ति विभाग ने काम किया वो ठीक है , लेकिन शिक्षकों के योगदान को इस प्रकार दोयम दर्जे का समझना एक भारी गलती है। दसवीं और बाहरवीं के नतीजे किसने प्रेषित किये? ये वही लोग हैं जो कोरोना की पीक पे राज्य और ज़िले की सीमाओं पे पुलिस के साथ कंधे से कन्धा मिला कर डटे हुए थे। सारे रिकॉर्ड कीपिंग के काम कर रहे थे। सरकार ने जब जिला परिषद् के चुनाव करवाए तो उसमें भी इन्होंने डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन के साथ मिल के दिन रात काम किया। ये हमारे गुरु हैं और गुरु को देवता की उपाधि दी जाती है , उनका मज़ाक नहीं उड़ाया जाता। मंत्री जी जितनी जल्दी ये समझेंगे उतना अच्छा।
इंददत्त लखनपाल (विधायक बड़सर विधानसभा क्षेत्र)

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