नारी सशक्तिकरण से ही होगा देश का भविष्य उज्जवल-कैप्टन संजय
-72 हजार से ज्यादा निशुल्क बांटे जा चुके हैं सैनेटरी पैड्स
डाडासीबा- सतीश शर्मा।
कैप्टन संजय का मानना है कि नारी सशक्तीकरण के बिना मावनता का विकास अधूरा है। महिला सशक्त तभी हो सकती है, जबकि वह सर्वागींण रूप से आत्मनिर्भर हो। इसी सूत्र वाक्य को लेकर महिला सशक्तीकरण की दिशा में पराशर अहम व सकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं। महिलाओं को समाज व विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए वह अब तक 12 प्राेजेक्ट्स पर कार्य कर रहे हैं। नारी सशक्तिकरण का अभियान निरंतर जारी है। जसवां-परागपुर क्षेत्र के दूरदराज के गांवों तक निशुल्क सैनिटरी पैड्स बांटने का उनका कार्य महाअभियान का रूप ले चुका है और अभी तक 72 हजार से ज्यादा सैनिटरी पैड्स का वितरण संजय की टीम कर चुकी है।
संजय पराशर लंबे समय से अाधी दुनिया के उत्थान के लिए प्रयासरत हैं। पिछले वर्ष चिंतपूर्णी कॉलेज, जहां अधिकतम छात्राएं ही अध्ययनरत हैं, के भवन की हालत काे देखकर उनका मन पसीज गया था। इस कॉलेज के भवन के जीर्णोद्धर, स्मार्ट क्लास रूम और डिजिटल पुस्तकालय पर कैप्टन संजय ने करीब तीस लाख रूपए की राशि खर्च कर दी। इतना ही नहीं इसी महाविद्यालय के 175 विद्यार्थियों का वार्षिक शुल्क भी उन्होंने अपनी जेब से भरा। कोरोना की दूसरी लहर में जब उनकी नजर रक्कड़ तहसील के चमेटी गांव की महिलाओं द्वारा तैयार हर्बल उत्पादों पर पड़ी तो पराशर ने इस सेल्फ हेल्प ग्रुप के दो लाख रूपए से ज्यादा का सामान खरीदकर संक्रमित मरीजों के बीच जाकर बांटा। इसके बाद भी उन्होंने इस ग्रुप के अन्य उत्पाद भी खरीदे और गुजरात में भेजा गया। वोकल फॉर लोकल के नारे के साथ अब भी पराशर इस ग्रुप से जुड़े हैं और भविष्य में भी सहायता का भरोसा दिया है। संजय ने जसवां-परागपुर क्षेत्र में निशुल्क सैनिटरी पैड्स वितरित करने का भी महाअभियान चला रखा है, जिसके अंर्तगत 42 गांवों में अब तक 72,376 सैनिटरी नैपकिन महिलाओं व किशोरियों में अब तक बांटे जा चुके हैं। इसके अलावा पराशर द्वारा आयोजित चिकित्सा शिविरों में महिलाओं की ही ज्यादा उपस्थिति दर्ज होती रही है। अब तक कुल लगे बारह मेडकील कैंपों में छह हजार से ज्यादा महिला लाभार्थी पहुंचीं। निराश्रित महिलाओं के लिए भी संजय पेंशन और उनके बच्चों को स्कॉलरशिप प्रदान कर रहे हैं। ऐसी 98 महिलाओं व उनके बच्चों को सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अलावा हाल ही में उन्होंने ऐसी महिलाओं को प्रेशर कुकर देने के साथ पेंशन भी भेजी है। बड़ी बात यह भी है कि अब मर्चेंट नेवी में युवतियों की भर्ती हो, इसके लिए भी प्रयास तेज कर दिए हैं। वहीं, पराशर का कहना था कि राष्ट्र और समाज में हमेशा ही नारी शक्ति की अहम भूमिका रही है। आज की महिलाएं सिर्फ घर गृहस्थी को संभालने तक ही सीमित नहीं रही हैं, बल्कि हर क्षेत्र में उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। व्यावसायिक क्षेत्र हो या पारिवारिक, महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि वे हर वो काम कर सकती हैं जो कभी पुरुषों के योग्य समझा जाता था। उनकी पत्नी सोनिका पराशर खुद एक शिपिंग कंपनी संचालित कर रही हैं। शिक्षा और आत्म-निर्भर बन जाने के कारण अब महिलाएं बड़े निर्णय लेने में भी सक्षम हैं। जाहिर सी बात है कि नारी सशक्तिकरण से ही हमारा भविष्य उज्जवल होने वाला है। महिलाओं के सम्मान में वह आगे भी अन्य प्रोजेक्ट्स पर कार्य करते रहेंगे।