पालमपुर – सतीश शर्मा।हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार ने कहा आजकल हर टी.वी. चैनल पर बंगाल के मंत्री पार्थ चाटर्जी और अर्पिता के घरों से करोड़ों रू0 के नोटों के लाल हरे ढेर भारत के लोग बार-बार देख रहे है। जेल जाती हुई अर्पिता को रोते हुए मंत्री को अपने आपको निर्दोष कहते हुए – यह सारा दृष्य देख कर भारत के लोग क्या सोचते होगें। देश में कहीं न कहीं भ्र्ष्टाचार के मामले उजागर होते रहते है। नेताओं के भ्र्ष्टाचार से पूरे देश का लोकतंत्र दिन प्रति दिन बदनाम हो रहा है।

उन्होंने कहा दो सप्ताह के बाद संसद का सत्र समाप्त हो गया। कोई काम नहीं हुआ। शोर, धारणा एक दूसरे पर आरोप, दो सप्ताह के अधिवेशन पर देश के खजाने से करोड़ों रू. खर्च हुए होगें। देश की जनता भ्र्ष्टाचार के करोड़ों रू0 के नोटों के ढेर देख रही है और 15 दिन के संसद के अधिवेशन में कोई काम न करते देश के करोड़ों रू0 बर्वाद होते देख रही है। यह सारी घटनाएं लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है।

शान्ता कुमार ने कहा इन सब घटनाओं के कारण लोकतंत्र पर लोगों का भरोसा समाप्त हो रहा है। नेता शब्द गाली बन गया है। नेताओं के प्रति अब कोई सम्मान जनता में नहीं।

भारत में नेता शव्द का सबसे पहला प्रयोग नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के लिए हुआ था। उस महान देश भक्त ने देश की आजादी के लिए विदेशो में जाकर अपनी योग्यता से सेना बनाई – आजादी की लड़ाई विदेशों से शुरू की – लड़ते लड़ते भारत की धरती पर पहुंचे और स्वतन्त्र भारत की सरकार की घोषणा करके तिरंगा झण्डा लहराया। कहां वह बलिदानी नेता और कहां आज के भारत के नोटों में बिकने वाले नेता।

उन्होंने कहा भारत एक तरफ अमृत महोत्सव मना रहा है और दूसरी तरफ भारत के लोकतंत्र का यह भ्र्ष्ट स्वरूप देखा जा रहा है। यहीं परिस्थिति रही तो शहीदों के बलिदानों से प्राप्त की हुई आजादी बहुत बड़े खतरे में पड़ जाएंगी।

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