Karnail Rana से जुड़ी दो सच्ची घटनाएं
1 , पहली घटना वर्ष 1993 के आसपास की है , नार्थ कल्चरल एसोसिएशन की तरफ से एक राष्ट्रीय कार्यक्रम कोयम्बटूर में हुआ । नार्थ ज़ोन की टीम में करनैल राणा भी गए हुए थे । वहां नार्थ ज़ोन को सिर्फ 15 मिंट का समय दिया गया । ज़ोन की तरफ से नृत्य की प्रस्तुति थी जो 12 मिंट में समाप्त हो गई । बाकी बचे 3 मिंट के लिए राणा जी को कहा गया कि आप कुछ भी गा दो , कोयम्बटूर में कौनसा किसी को कुछ समझ आना है आप बस समय को कवर करो । राणा जी की हालत ऐसी जैसे मेरी अंग्रेजी देखकर हो जाती ।श्रोता वो लोग जिन्हें ढंग से हिंदी भी नही आती ये हिमाचली गायक , राणा जी ने भी लिया फिर मां चामुंडा का नाम और स्टेज से गाना शुरू किया *चम्बे पतने दो बेड़िया * । राणा जी हैरान हो गए जिस जगह कोई ढंग से हिंदी नही जानता वहां पर पहाड़ी गाना सुनकर लोग एकदम से जुड़ने शुरू हो गए और सब लोग राणा जी को सुन रहे है जबकि उन्हें समझ कुछ नही आ रहा 3 मिंट मिले थे और राणा जी ने 10 मिंट तक समय बांध दिया । राणा जी को ये घटना अपने जीवन की सबसे प्यारी घटना लगती है बकौल राणा जी दरअसल हिमाचली इंस्ट्रूमेंट और धुन मनमोहक ही इतनी होती है जैसे कोई गीता के श्लोक और लोग बरबस ही इसके साथ जुड जाते है ।

2. दूसरी घटना चंडीगढ़ की 2003 के आसपास की
राणा जी उस समय हिमाचल के सबसे हिट कलाकारों में पहुंच गए और हिमाचल के बाहर से कार्यक्रम आने लगे । चंडीगढ़ में राणा जी को एक बहुत बड़े जागरण का न्यौता आया । राणा जी का ये पहला अवसर था जब हिमाचल से बाहर परम्फोर्म करना था । राणा जी ने जालन्धर से म्युजिशन बुक करवा लिए ताकि पंजाब के कल्चर के साथ मैच हो जाए । जिस जगह राणा जी ने गाना था वहां पंजाब के दिग्गज गायक हंस राज हंस , सलीम , सरदूल जैसे बड़े गायक गा गए थे । बस राहत एक बात की थी कि कार्यक्रम मात्र दो घण्टे का था राणा जी तय तिथि पर कार्यक्रम के लिए निकले । हिमाचल से ये पांच लोग थे बाकी इन्हें जांलधर से साथ लेने थे । कार्यक्रम में पहुंचने से पहले उस बन्दे को फोन किया जिसने जालन्धर के म्युजिशन बुक करवाए थे उसने पहले दस मिनट बोला फिर बीस फिर आधा घण्टा ओर बाद में फोन बंद । आयोजन स्थल पर सिर्फ 3 बन्दे देखकर आयोजक भड़क गए , जागरण के आयोजकों को राणा जी ने कहा कि बन्दे आ रहे है । आयोजक कहाँ सुनने वाले थे उन्होंने सबसे पहले उसको ढूंढा जिसने राणा जी को बुक किया था । राणा जी अपने रेस्ट रूम में धूप जलाकर बैठ गए और हिमाचल ,पंजाब हरियाणा दिल्ली उत्तरप्रदेश के सभी देवताओं को याद करने लगे कि आज भगवान बचा ले , जहां पैसे तो मिलेंगे नही ऊपर से ये कूटेंगे अलग से बस कोई हड्डी न टूटे इतनी प्रार्थना मेरी सुनलो । राणा जी ने घबराहट से जागरण शुरू किया और आयोजक धीरे धीरे कार्यक्रम स्थल से 200 मीटर तक पहुंच गए कि अब उन्हें वहां से खिसकना है ताकि लोग आयोजको पर न भड़क जाए ।
राणा जी ने फिर मां भवानी को याद करके पहली भेंट आंखे बंद करके गाई 3 के मिंट बाद एक आंख खोलकर पंडाल का नजारा देखा तो पाया कि लोग बैठे है और सुन रहे है फिर हिम्मत करके आंखे खोली और गाना शुरू कर दिया , लोग खामोश हो गए दूसरी भेंट पर एक महिला नाचने लगी और तीसरी पर कोई 150 के करीब लोग कार्यक्रम सुबह के तीन बजे तक चला । राणा जी ने वो कार्यक्रम एक हारमोनियम, ढोलकी और डफली के साथ किया । शायद चंडीगढ़ के लोग जागरण के नाम पर शोर शराबे वाले म्यूजिक से परेशान थे और उन्हें ये सॉफ्ट म्यूजिक के साथ सॉफ्ट आवाज में जागरण बेहद पसन्द आया । उसके बाद राणा जी ने हारमोनियम से जागरण का ट्रेंड शुरू किया जो काफी हिट हुआ और काफी साल चला लेकिन लोगों के कहने पर फिरसे मॉडर्न म्यूजिक शुरू किया । उस कार्यक्रम में राणा जी को उनकी फीस के साथ 5000 एक्स्ट्रा दिए और राणा ने ये पैसे उन सभी देवताओं को चढ़ा दिए जिन्हें जागरण से पहले राणा जी ने याद किया था ।।।।

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