नमन पूर्वजों को

श्राद्ध हम पूर्वजों को नमन करने व अपने अस्तित्व को याद करने का समय है

स्पेशल स्टोरी। हर व्यक्ति में अपने पूर्वजों के गुण हैं । व्यक्तित्व के जिन gens की हम बात करते हैं एक व्यक्ति की 12पीढियां मां तथा वाप की गणना की जाए तो हम 490 पूर्वजों की सन्तान क्या 12 पीढ़ियों को याद करते हैं, जबाब है नहीं । मैं माता पिता की 12पीढियों की बात करूं तो 490से अधिक  100साल में चार पीढ़ियों व 300 साल में 12 पीढ़ियों के गुण जन्मजात गुण मेरे में होंगे। हर व्यक्ति पर यही लागू होता है परंतु श्राद्ध को हम श्रद्धा से करते हैं क्या हमारे पास 490 पूर्वजों को नमन करने के लिए एक दिन भी नहीं है। पिंडदान की पंरपरा ऐसे ही शुरू नहीं की है। श्रंद्धाजलि है श्राद्ध लेकिन हम लोगों के पास उसके लिए भी समय नहीं। जिन लोगों को श्रद्धा है अपने व अपने पूर्वजों पर उनके लिए ही यह लेख है क्या हम साल में एक दिन भी पूर्वजों के लिए निकाल नहीं सकते तो धिक्कार है हमारे होने अथवा न होने पर। श्राद्ध की तिथि का ज्ञान नहीं कि किस पूर्वज की कौन सी तिथि होगी तो अंतिम श्राद्ध के दिन जो इस साल 14 अक्टूबर को है उस दिन हम अपने पितरों को एक लोटा जल भी याद कर कर अर्पित कर दें तो उससे भी पूर्व प्रसन्न हो जाते हैं ऐसा हमारी धार्मिक परंपराओं में कहा जाता है। लेकिन कितने लोगों को यह भी दिखावा लगता। श्राद्ध पक्ष पूर्वजों को याद करने का है। माता तथा पिता की 12 पीढियों  का ही जिक्र कर लें तो भी बहुत है। श्राद्ध पक्ष में गीता के सातवें अध्याय का पाठ भी हम एक बार कर लें। लेकिन हम क्या वास्तव में हिंदू हैं कितने घरों में गीता का सातवां अध्याय पढ़ने के लिए गीता है। अगर नहीं है तो आप रखें व सातवें अध्याय का पाठ करें अपने पूर्वजों को याद करें। इसी बहाने 12पीढियों को नमन करें माता तथा पिता की बहुत उपकार होगा अगर आपमें से एक व्यक्ति भी इस लेख के बहाने अपने पूर्वजों को याद करता है।

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