हिमाचल प्रदेश के हितों को लेकर एकजुट हों सत्तापक्ष व विपक्ष- शांता कुमार
पालमपुर – पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा कि जोगिन्दरनगर शानन बिजली परियोजना के सम्बंध में हिमाचल प्रदेश की सरकार और विपक्ष दोनों अपने कर्तव्य का पालन नही कर रहे है। शानन बिजली परियोजना हिमाचल प्रदेष में है परन्तु इसका अधिकार पंजाब के पास है। 1925 में मण्डी रियासत के साथ हुआ समझौता भी अब समाप्त हो गया है। हिमाचल सरकार और विपक्ष को मिलकर हिमाचल के इस अधिकार के लिए संगर्ष करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 1966 में पंजाव पुर्नगठन कानून बना और उसके अनुसार हिमाचल, पंजाव और हरियाणा के तीन प्रदेशों का गठन हुआ। पुनर्गठन कानून में इस सम्बंध में एक स्पष्ट धारा है जिसमें कहा गया है कि इस कानून के बाद सांझे पंजाब की जो सम्पत्ति जिस नये प्रदेश में होगी उस पर उसकी मलकियत होगी। 1966 के पुनर्गठन के बाद जोगिन्दरनगर और मण्डी हिमाचल का हिस्सा बन गये इसलिए उसी समय षानन बिजली परियोजना हिमाचल प्रदेष को मिल जानी चाहिए थी। परन्तु पजंाब सरकार ने केन्द्र से मिलकर इस परियोजना को प्राप्त कर लिया। हिमाचल उस समय अपने अधिकार के लिए पूरी लड़ाई नही लड़ सका।
शान्ता कुमार ने कहा कि 1977 में मुख्यमंत्री बनने पर मैंने प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई के पास यह मांग रखी थी। उन्होंने तीनों प्रदेशों के मुख्यमन्त्रियों को बुलाया। मैंने जब पुनर्गठन कानून की धारा को प्रधानमंत्री जी के सामने रखा तो वो मुझसे सहमत हुए और श्री प्रकाश सिंह बादल और श्री देवीलाल जी के पास इसका कोई उत्तर नही था। बाद में इस विशय पर सुब्रमण्यम कमेटी बनाई गई। उसकी रिपोर्ट भी हिमाचल के हित में थी परन्तु छोटा सा हिमाचल भारत सरकार से न्याय प्राप्त नही कर सका।
उन्होंने कहा कि पंजाव अपने अधिकार के लिए इस विशय को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में गया है। हिमाचल सरकार और विपक्ष को मिलकर इस विशय पर सर्वोच्च न्यायालय में भी अपने अधिकार की लड़ाई लड़नी चाहिए और भारत सरकार के साथ भी सघ्ंार्श करना चाहिए।
हिमाचल प्रदेष 1966 से इस अन्याय को सहन कर रहा है। हिमाचल की भूमि में हिमाचल के पानी से बिजली बन रही है पर उस पर सारा अधिकार पंजाव का है। ऐसा भंयकर अन्याय पूरे देश में और कही नही हो रहा ।