हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का हाईवोल्टेज ड्रामा कुंठाओं का परिणाम
संपादकीय सतीश शर्मा विट्टू की क़लम से हिमाचल प्रदेश पहाड़ी प्रदेश है देवभूमि में हिमाचल प्रदेश में जो ड्रामा घटित हुआ वह अचानक नहीं हुआ। कांग्रेस पार्टी का हिमाचल प्रदेश में लंबा इतिहास रहा है।6 बार राजा वीरभद्र हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे हैं। ताली दोनों हाथों से बजती है। कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए जो प्रत्याशी खड़ा किया इसमें कोई शक नहीं कि वह बड़ा कद था अभिषेक मनु सिंघवी परंतु राजनीति में यह सब नहीं चलता। भाजपा ने बाहरी व्यक्ति की भावना का लाभ उठाया। कांग्रेस में राणा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा एडजस्ट न करने से नाराज़ चल रहे थे राणा ने अपना विरोध दिखाना था,सुधीर भी कांगड़ा में मंत्री ने बनने से ख़फ़ा थे। दविन्द्र भुट्टो का राणा के साथ दोस्तानां संबंध था। राणा के साथ जाकर वह दोस्ती का धर्म निभा रहे थे। इंद्र दत्त लखन पाल एक ईमानदार नेता हैं। लेकिन उनके साथ छल हो गया। हाली लाज के साथ उनका लंबा नाता रहा है जब व्यक्ति भावुक होता है तो वह भावनाओं में वह जाता है इंद्र दत्त लखन पाल भी साथ चल पड़े। जैसी सुचनाएं हैं सूत्रों की कि विक्रमादित्य भी पर्दे के पीछे है। विक्रमादित्य राजा वीरभद्र के बेटे हैं उन्होंने वोट कांग्रेस प्रत्याशी को देकर सही फैसला किया। फिर कल सुबह हाईवोल्टेज ड्रामा हुआ। इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। नाराजगी तो थी। सुक्खू से की विभाग में हस्तक्षेप करते हैं, पिता की मूर्ति लगाने को जगह नहीं दी। रानी प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनने में भी सुक्खू कैंप को बड़ा कारण मानते हैं। लड़ाई परिवार में रहकर लड़ी जाती है। प्रतिभा सिंह ईमानदार महिला है। लेकिन राजनीति में सिर्फ ईमानदार होना ही काफी नहीं होता। विक्रमादित्य का लंबा राजनीतिक जीवन है। आज कांग्रेस छोड़ दें तो भाजपा में जाकर क्या मिलेगा। कांग्रेस के बरुण गांधी का आज क्या हाल है फिर उनके अमेठी से आजाद चुनाव लडने के चर्चे हैं जब बरुण गांधी नहीं कर पाए तो विक्रमादित्य क्या कर लेंगे। विक्रमादित्य को कांग्रेस में रहकर आगे बढ़ना होगा उनका भविष्य कांग्रेस में उज्ज्वल है। भाजपा चढ़ता हुआ सूरज है ढलेगा भी। सरकार गिराने के सपने कांग्रेस के बागी ही नहीं क ई दागी छुपे भी देख रहे थे लेकिन औंधे मुंह गिरे हैं। अगर बागी विधायकों को पार्टी से निष्कासित किया जाता तो क्या चुनाव लड़कर सभी जीत जाएंगे समय ही बताएगा। संकट टला है लेकिन पर्दे के पीछे जो है उन्हें समझना होगा। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर ने कांग्रेस छोड़ी है आज जनता में उनका रूतबा क्या है राजनीति में। विक्रमादित्य से हिमाचल को बड़ी उम्मीदें हैं उन्हें अपने सलाहकार ईमानदार रखने होंगे जो उन्हें हमेशा सही सलाह दें। इंद्र दत्त लखन पाल को भी अपने दोस्त ऐसे बनाने होंगे जो उन्हें सही मार्गदर्शन करें। वैसे उनके घर में उनके बेटा राहुल बहुत ही होनहार व्यक्तित्व का धनी है उसकी ही सलाह लेनी चाहिए। बेटे से भी बात कर लेते तो इतना बड़ा फैसला कभी न लेते। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को भी अच्छा सलाहकार ईमानदार व्यक्ति रखना चाहिए। जो सबको साथ लेकर चलने का मार्गदर्शन करता रहे। राजेश धर्माणी जैसा सखा उनके पास है ऐसे लोग कभी ग़लत सलाह नहीं देते। सुक्खू ने जनहित में जो अब तक फैसले लिए हैं शानदार है प्रदेश के लिए। कुंठाओं से भरे लोगों की कुंठाओं का दूर करना इतना भी कठिन नहीं है।

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