बाबा बालक नाथ डिग्री कॉलेज की जमीन का कई दशकों से अधर में लटका मामला हल करवाने में न्यास प्रशासन आयुक्त न्यास बाबा बालक नाथ मंदिर एवं जिलाधीश हमीरपुर हेमराज बेरवा व अध्यक्ष बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध एवं एसडीएम बडसर डॉक्टर रोहित शर्मा के प्रयास सराहनीय
दियोटसिद्ध/ सतीश शर्मा विट्टू।
उतरी भारत के प्रमुख सिद्ध पीठ ट्रस्ट बाबा बालक नाथ के अधीन चलने वाले डिग्री कॉलेज को 17 कनाल 12 मरले भूमि चकमोह निवासी 41 हिस्सादारानों ने दान की है। इस कॉलेज को 16.08.1984 ब्रह्मलीन महंत शिवगिर जी ने मंदिर के सौजन्य से संचालन करवाया था। तब मंदिर ट्रस्ट के अधीन नहीं था। उल्लेखनीय है कि मंदिर में अधिकांश संस्थाएं जनहित में ब्रह्मलीन महंत शिवगिर के कार्यकाल में चली थीं, जिनमें मॉडल स्कूल, डिग्री कॉलेज, हाई स्कूल के साथ बिजली पानी की स्कीमों के साथ सड़कें, सरायें बनी थीं। ब्रह्मलीन महंत द्वारा इस कॉलेज के संचालन के बाद बड़सर के ढटवाल क्षेत्र में शिक्षा की क्रांति आई। इस कॉलेज से पढ़कर कई लोग नेता बन कर सरकारों का हिस्सा बने तो कई लोग आला अधिकारी बने, लेकिन अफसोस यह कि इस कॉलेज की सुध किसी ने नहीं ली। 16 जनवरी 1987 को इस बाबा बालक नाथ मंदिर की व्यवस्था सरकार ने अपने हाथों लेकर यहां एक ट्रस्ट का गठन किया। तब से लेकर अब तक कई सरकारें आईं और गईं। ऊपर से नीचे तक कई रेव्यन्यू ऑफिसर आए गए लेकिन कोई भी इस काम को सिरे नहीं चढ़ा पाया। कॉलेज ब्रह्मलीन महंत द्वारा स्थानीय लोगों के सहयोग से मौखिक तौर पर ली गई भूमि पर घिसट-घिसट कर चलता रहा। कारण साफ था कि जब जमीन ही कॉलेज के नाम नहीं थी, तो ट्रस्ट यहां कोई भी प्रोफैशनल कोर्स नहीं चला सका। जिस कारण से कॉलेज का स्तर दिनोंदिन गिरता रहा।
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यह कॉलेज 47 कनाल 6 मरले भूमि पर चला था। जिसमें से 5 कनाल 13 मरले पर ट्रस्ट ने कॉलेज के भवन बनाए। लेकिन ब्रह्मलीन महंत शिवगिर द्वारा मौखिक तौर पर दान करवाई गई भूमि पर मालिकाना हक का पेच फंसा रहा। जिस पर ट्रस्ट प्रशासन 44 वर्षों तक आंखें मूंदे हुए बैठा रहा। अब टैम्पल कमिशनर एवं डीसी हमीरपुर हेमराज बैरवा की टीम टैम्पल ट्रस्ट चेयरमैन एसडीएम बड़सर रोहित शर्मा व मंदिर अधिकारी धर्मपाल नेगी के अथक प्रयासों के चलते सामाजिक सहयोग से इस कॉलेज के लिए 17 कनाल 12 मरले बेश्कीमती भूमि दान करवाने के कारण ट्रस्ट को मालिकाना हक मिला है। हालांकि अभी भी 25 कनाल 7 मरले पर हिस्सादारानों का मालिकाना हक है, लेकिन भूमिदानियों के आगे आने के चलते अब इस भूमि को भी दान में मिलने की उम्मीद जगी है। इस ऐतिहासिक व बड़े फैसले पर ट्रस्ट प्रशासन की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है क्योंकि आखिर समाज के साथ ट्रस्ट के समांजस्य व सहयोग के चलते यह बड़ा फैसला हुआ है। जिसके चलते अब इस कॉलेज में ट्रस्ट प्रशासन द्वारा कई प्रोफैशनल कोर्सस चलाए जाएंगे। जिसका सीधा लाभ समूचे बड़सर के शिक्षार्थियों को मिलेगा।
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मैं तमाम हिस्सादारानों का आभारी हूं, जिनके सहयोग से वर्षों से लटकता आ रहा भूमि का मालिकाना हक ट्रस्ट प्रशासन को मिला है।
धर्मपाल नेगी,
मंदिर अधिकारी,
बाबा बालक नाथ ट्रस्ट, दियोटसिद्ध।
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स्थानीय समाज के सहयोग से दान हुई भूमि भू-दान सर्वोत्तम प्रकाष्ठा है। कॉलेज को मालिकाना हक मिलने के बाद इस कॉलेज में शिक्षा की नई क्रांति आएगी। जिसका लाभ क्षेत्र की जनता को मिलेगा।
रोहित शर्मा,
टैम्पल ट्रस्ट चेयरमैन एवं एसडीएम,
बड़सर।
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समाज जब निजी स्वार्थ से उठकर इस तरह के सहयोग करता हुआ सरकार और सिस्टम के साथ आ खड़ा होता है तो नई विकासात्मक क्रांति की शुरूआत होती है। ट्रस्ट प्रशासन तमाम भू-दानियों का आभार व धन्यवाद करते हुए भविष्य में भी सहयोग की आपेक्षा करता है।
हेमराज बैरवा,
टैम्पल ट्रस्ट कमिश्रर एवं डीसी,
हमीरपुर।
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विकास पुरुष ब्रह्मलीन महंत श्री शिवगिर द्वारा शुरू की गई संस्था के लिए यह सहयोग सराहनीय व शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित होगा ऐसी मेरी कामना है। गुरुवर का असली सपना साकार होना शुरू हुआ है। जोकि आपार हर्ष का विषय है। मैं तमाम भू-दानियों का दिल की गहराईयों से आभार व धन्यावाद देता हूं व ट्रस्ट प्रशासन की टीम को बधाई प्रेषित करता हूं।
महंत श्रीश्रीश्री राजेंद्र गिर जी महाराज,
बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट दियोटसिद्ध।