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कांग्रेस नेता आनंद शर्मा का कांग्रेस पार्टी के विदेशी मामलों के अध्यक्ष पद से इस्तीफा नये लोगों को मौका देने की पहल
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री की दौड़ की लाइन में भी शामिल
दिल्ली। टॉप न्यूज भारत।
देश की राजधानी दिल्ली में बड़ा फैसला हिमाचल प्रदेश के नेता आनंद शर्मा ने लिया है उन्होंने कांग्रेस पार्टी के विदेश मामलों के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर नई परंपरा शुरुआत की है। इन पदों पर बैठने के लिए लोग हर कुछ करने को तैयार हो जाते हैं परंतु अनंत शर्मा हिमाचल प्रदेश की राजनीति में ऐसा चेहरा है जिन्होंने कभी हिमाचल प्रदेश में प्रत्यक्ष तौर पर चुनाव नहीं लड़ा। उनको कई बार राज्यसभा के लिए भेजा गया। हिमाचल कांग्रेस में जो उठक पठक मची हुई है उसको भी संतुलित करने के लिए आनंद शर्मा महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। टॉप न्यूज himachal.in वेब पोर्टल की जानकारी के अनुसार आनंद शर्मा शुरू से ही हिमाचल की राजनीति में कम दखल करते हैं। पंडित सुखराम के समय में भी उन्होंने प्रयास किया था कि हिमाचल प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मण नेता पंडित सुखराम को मुख्यमंत्री बनाया जाए परंतु उस समय आजाद विधायकों ने उनका खेल बिगाड़ दिया था। आजाद विधायकों में बड़सर के विधायक तात्कालिक नादौनता के आजाद जीते विधायक मनजीत सिंह डोगरा ने पूरी रणनीति को ध्वस्त कर दिया था। मनजीत सिंह डोगरा आनंद शर्मा के साथ कांग्रेस पार्टी में प्रदेश महासचिव रहे थे। लेकिन मनजीत सिंह डोगरा की वफादारी राजा वीरभद्र सिंह के साथ थी उस समय। हाई कमान ने हिमाचल प्रदेश में पंडित सुखराम को मुख्यमंत्री बनने के लिए पूरा जाल बुन रखा था परंतु आजाद विधायक मनजीत सिंह डोगरा ने हाई कमान का सारा खेल बिगाड़ दिया था उन्होंने हाई कमान द्वारा भेजे गए जो नेता हिमाचल में थे उन्हें मिलकर साफ कर दिया था कि उनका समर्थन राजा वीरभद्र सिंह के साथ हैं उन्होंने उसे समय आजाद विधायकों से भी राजा वीरभद्र सिंह को समर्थन करने के लिए एक पत्र भी दिया था। इस खबर की हम आधिकारिक पुष्टि करते हैं हमारे पास इसके सभी सबूत हैं। ऐसे समय में आनंद शर्मा का विदेश मामलों के अध्यक्ष पद से इस्तीफा आया है जब हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने के लिए ऐसे चेहरे की जरूरत है जो सबको साथ लेकर चले। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह का कुछ मंत्री भी दिल्ली दरबार में विरोध कर चुके हैं कि उन्हें काम करने में पूरी आजादी नहीं है। कांग्रेस पार्टी का नया अध्यक्ष भी बनाया जाना है। सत्ता संतुलन के लिए आनंद शर्मा की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। कांग्रेस पार्टी को हिमाचल प्रदेश देवभूमि में मजबूत करना है तो आनंद शर्मा का सहयोग लेकर कांग्रेस को मजबूती प्रदान की जा सकती है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के साथ भी आनंद शर्मा के दोस्ताना संबंध हैं।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के विदेश मामलों के विभाग (DFA) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी के पुनर्गठन में सुविधा देने और युवा नेताओं को मौका देने के उद्देश्य से यह कदम उठाया। शर्मा ने लगभग दस साल तक DFA का नेतृत्व किया और इस दौरान भारत के विदेश संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

*आनंद शर्मा के इस्तीफे की मुख्य वजहें:*

– *पार्टी का पुनर्गठन*: शर्मा चाहते हैं कि DFA का पुनर्गठन हो ताकि युवा नेताओं को शामिल किया जा सके और विभाग की कार्यक्षमता बढ़ सके।
– *युवा नेताओं को मौका*: शर्मा का मानना है कि नए चेहरों को मौका देने से विभाग के कामकाज में निरंतरता बनी रहेगी।
– *पार्टी नेतृत्व के प्रति आभार*: शर्मा ने पार्टी नेतृत्व को अवसर और विश्वास देने के लिए धन्यवाद दिया है।

आनंद शर्मा कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य बने रहेंगे और पार्टी के अंतरराष्ट्रीय मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब पार्टी कई चुनौतियों का सामना कर रही है ¹ ²।

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