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बाबा बालक नाथ ट्रस्ट का मास्टर प्लान बनाने की दरकार

व्यवस्था परिवर्तन के लिए कड़े फैसले लिए जाने जरूरी

कई सालों से मंदिर अधिकारी की स्थाई नियुक्ति नहीं करवा पाया न्यास

घोटाले नहीं ले रहे रुकने का नाम

बड़सर। सतीश शर्मा विट्टू।

Oplus_131072 मास्टर प्लान रिक्वायर्ड फॉर बाबा बालक नाथट्रस्टबा बालक नाथ गौशाला के शैड की रिपेयर की जरूरत। बारिश में छत से टपकता है पानी। गौशाला के गल्ले के पास आज तक नहीं लगा सीसीटीवी कैमरा। गोवंश के लिए उचित सुविधाओं की जरूरत। 100 से अधिक गोवंश। करीब 90000 का एवरेज दूध उत्पादन। लाखों का खर्चा। दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए किए जाएं प्रयास तो बाबा बालक नाथ न्यासा पर पड़ेगा कम बोझ। अच्छी नस्ल की 50 गाय से दुग्ध उत्पादन में हो सकता है इजाफा। बाबा बालक नाथ मंदिर श्रद्धालुओं के विकास के लिए मास्टर प्लान बनाकर उसे पर अमल करने की जरूरत है लेकिन मास्टर प्लान न बनने से अपनी अपनी डफली अपना अपना राज की स्थिति बनी हुई है। व्यवस्था का आरंभ यह है कि जो कर्मचारी ड्यूटी के दौरान भगवान को प्यारे हो चुके हैं उनके परिवारों के लिए अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने की जगह न्यास ने आंखें बंद कर रखी हैं। कोहला की कंचन देवी अपने बेटे के लिए अनुकंपा के आधार पर नौकरी का 18 साल से इंतजार कर रही है लेकिन व्यवस्था की इंतहा के कारण आज तक उस परिवार को न्यासा नौकरी नहीं दे पाया। अधिकारी आते हैं चले जाते हैं लेकिन व्यवस्था ढर्रे पर चल रही है। करोड रुपए की आय के बाद भी सही व्यवस्था बनाने की जरूरत है। कई सालों से मंदिर में स्थाई मंदिर अधिकारी नहीं है इस वजह से लगातार घोटाले जग जाहिर हो रहे हैं। लेकिन उन घोटाले को रोका जाए ऐसी व्यवस्था आज तक नहीं बन पाई। मंदिर न्यास गठन के बाद सबसे पहले चर्चित घोटाला बकरा घोटाला सामने आया था। बकरा घोटाला में जांच के बाद जिस कर्मचारी को बलि का बकरा बनाया गया था उसे तो बाहल कर दिया गया लेकिन क्या बकरा घोटाला में अकेला कर्मचारी ही दोषी था अथवा कौन ऐसे चेहरे थे जिन्हें उस मामले में बेनकाब नहीं किया गया। बकरों की नीलामी में पारदर्शी व्यवस्था बनाने के लिए जरूरत है लेकिन वहां जब नीलामी की जाती है तो अपने लोगों को लाभ देने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं। मंदिर के अधिकारी, मंदिर के अध्यक्ष, मंदिर के ट्रस्टी, मंदिर के आयुक्त को इन मामलों की भनक नहीं होती है ऐसा नहीं है लेकिन चाहतों को बचाने के लिए सारे हथकंडे अपनाए जाते हैं। मंदिर में कभी रोशन घोटाला, कभी सोना चांदी में हेरा फेरी, कभी रसीद घोटाला, इसके अलावा अनगिनत ऐसे मामले हैं जिनमें न्यासा मौन बन जाता है। बाबा बालक नाथ न्यास की संपत्ति की रक्षा कौन करेगा। कर्मचारियों के लिए किसी भी संस्था के आवास की सुविधा दी जाती है तो वह आवास हमेशा उसे संस्था का ही रहता है। लेकिन बाबा बालक नाथ न्यास के प्रधानाचार्य को पूर्व में दिया गया आवास आज तक न्यास उस आवास के बारे में फैसला नहीं कर पाया है कि वह न्यासा अथवा महंत को क्यों नहीं मिला। जो प्रधानाचार्य वहां तैनात थे आज भी उसे आवास भवन में अनुसंधान केंद्र का फटटा लगाया गया है। न्यास उसे पर आज तक निर्णय नहीं ले पाया है। जब प्रधानाचार्य नौकरी छोड़कर वहां से जा चुके हैं सरकारी सेवा से भी रिटायर हो चुके हैं तो आवास की जो प्रॉपर्टी है संस्था को मिलनी चाहिए लेकिन इस मामले में खुले तौर पर कोई भी अधिकारी ट्रस्टी बोलने को तैयार नहीं है। उसे संपत्ति की रक्षा कौन करेगा। एक नहीं अनगिनत ऐसे मामले हैं जिनकी लिस्ट बनाई जाए तो लंबी हो जाएगी। मंदिर में पारदर्शी व्यवस्था होनी चाहिए श्रद्धालुओं को सुविधाएं मिलनी चाहिए। मास्टर प्लान बनाया जाना चाहिए। लेकिन राजनीति इतनी हावी है कि जिस भी पार्टी की सरकार होती है उससे संबंधित लोग नेता जमकर लूट को खुली छूट देते हैं इस बंदर बांट को बंद किया जाना चाहिए।

मंदिर में स्थाई मंदिर अधिकारी सरकार नहीं लगा रही है तो किसी रिटायर वालंटियर आईएएस, एच ए एस अधिकारी की सेवा में लेकर व्यवस्था में सुधार करना चाहिए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से लोगों को उम्मीद थी कि वह व्यवस्था परिवर्तन में मंदिर में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे लेकिन सरकार की अपनी व्यवस्था अभी तक सही नहीं हो पा रही है। महंत को हटाकर प्रबंधन का जमा ट्रस्ट को दिया गया लेकिन ट्रस्ट आज तक के ही बड़े फैसले नहीं ले पाया। ऐसा नहीं है की घोटाले ही हावी है। विकास भी हुआ है तस्वीर भी बदली है। 10 करोड रुपए की बहुमंजिला भवन हाल ही में बना है जिसकी शुरुआत कांग्रेस पार्टी के कार्यकाल में विधायक इंद्रदत लखनपाल ने शुरू करवाई। थी। लेकिन योजना पर तरीके से विकास करवाने के लिए एक मास्टर प्लान बनाने की जरूरत है मुख्यमंत्री को जिलाधीश तथा न्यास अध्यक्ष को इस मामले में मास्टर प्लान बनाकर विकास करवाने के निर्देश देने होंगे। इसी न्यास के साथ वैष्णो देवी न्यास का गठन हुआ था आज विकट परिस्थितियों में भी उस न्यास ने ने वैष्णो देवी विश्वविद्यालय की स्थापना कर घाटी में कई लोगों को रोजगार दिया है। शिक्षा का विकास करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है लेकिन बाबा बालक नाथ न्यास के जो शिक्षण संस्थान चलाए जा रहे हैं पुराने ढर्रे पर ही चल रहे हैं । व्यवस्था परिवर्तन के लिए मुख्यमंत्री को दिशा निर्देश तो जारी करने होंगे। इस मंत्र को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री ने पहल जरूर की है। विकास निरंतर प्रक्रिया है। सुधारो की काफी गुंजाइश है जरूरत है सही मार्गदर्शन की। बाबा बालक नाथ के चरणों में अरदास है की इन सबको सद्बुद्धि दे तथा मंदिर का चौमुखी विकास हो।

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