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विधायक राजेश धर्माणी की पहल सुरक्षाकर्मी लेने से इंकार नई शुरुआत

सतीश शर्मा की कलम से

राजनीति में लोग सेवा के लिए आते हैं परंतु विरले ही ऐसे होते हैं जो राजनीति में आकर फिर भी आम जनसाधारण बनकर सेवा करते रहते हैं ऐसे ही नेता है हिमाचल प्रदेश में राजेश धर्माणी। रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज हमीरपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर संघर्ष करते हुए राजनीति में जुड़े हैं। विधायक बनकर इस बार विधानसभा में पहुंचे हैं। इससे पूर्व भी विधायक रहे हैं सीपीएस भी बनाए गए थे लेकिन वीर भद्र सिंह के कार्यकाल में साल के बाद ही जीपीएस को मिली सभी सुविधाएं लौटा दी थी। आज विधायक सीपीएस मंत्री सभी सुरक्षा का घेरा लेकर चलना शान समझते हैं। सुरक्षा के लिए जरूरी भी है। लेकिन राजेश धर्मानी की सोच सबसे अलग है। सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार में मंत्री पद के प्रबल दावेदार थे लेकिन उनके जूनियर तथा उनसे कम योग्यता वाले भी मंत्री बने हैं लेकिन राजेश धर्मानी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने फिजूलखर्ची को रोकने के लिए अपने साथ सुरक्षाकर्मी लेने से भी मना किया है। सुरक्षाकर्मी लेकर साथ चलना लोग शान समझते हैं। लेकिन राजेश धर्मानी ने जो मिसाल पेश की है उस पर हिमाचल के अन्य माननीय भी अमल करें तो हिमाचल प्रदेश का काफी भला हो सकता है। राजेश धर्मानी की पहल के लिए उन्हें बधाई। उन्हें देखकर अन्य कोई माननीय इस निर्णय पर अमल करेगा देखने वाली बात है। उन्होंने मिसाल तो पेश कर दी।

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