आबूधावी में फंसे तीन युवाओं के लिए मसीहा बन गए कैप्टन संजय
-पराशर ने अपने खर्च से करवाई इन युवाओं की वतन वापसी
डाडासीबा- सतीश शर्मा।
जरूरतमंद लोगों के लिए हर पल मदद को तैयार कैप्टन संजय का एक बार फिर मानवीय चेहरा सामने आया है। पराशर दुबई के आबूधावी मेंं फंसे तीन युवाओं के लिए किसी मसीहा जैसे हैं। अपने खर्च से संजय ने इन तीनों युवाओं की वतन वापसी करवाई है। युवक प्रदेश के हमीरपुर जिला से संबंध रखते हैं। युवाओं के अभिभावकों ने सुरक्षित देश में लाने के लिए संजय पराशर का आभार व्यक्त किया है।
दरअसल संजय देश-विदेश में फंसे भारतीयों के लिए अभियान के तहत लंबे समय से कार्य कर रहे हैं। 2 फरवरी, 2020 से लेकर अब तक ऐसे मामलों में पराशर 3848 लोगों व नाविकों को रेस्क्यू और सहायता कर चुके हैं। ताजा कड़ी में हमीरपुर जिला के नादौन के कश्मीर गांव से साहिल वर्मा, अक्षय वर्मा और सलौणी गांव से ऋषभ शर्मा संजय के अथक प्रयासों से घर वापिस पहुंचे हैं। एजेंटगिरी के चक्कर में फंसकर ये युवा आबूधावी में फंस गए थे। पिछले पांच महीनों से वह देश में वापिस आने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन बात नहीं बन रही थी। इनके पास जो पैसे थे, वो भी खर्च हो गए थे। युवाअों ने बताया कि उन्हें विजिटर वीजा पर दुबई एजेंट ने भेजा था, लेकिन अगर और ज्यादा समय तक वे वहीं रहते जाता तो उन्हें वहां की सरकार द्वारा लाखों रूपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता था। ऐसे में साहिल व अक्षय के पिता अमरजीत को किसी परिचित ने बताया कि वह कैप्टन संजय से संपर्क करें तो बच्चों की इस समस्या का समाधान हो सकता है। अमरजीत कैप्टन संजय से एक सप्ताह पहले डाडासीबा में मिले और बताया कि उनके दो बच्चे और एक अन्य युवा आबूधावी में बिना पैसे के भूखे रहने को मजबूर हैं और उन्हें रहने की व्यवस्था भी न के बराबर है। इसके बाद पराशर ने इन युवाओं की वतन वापसी के लिए कार्य करना शुरू किया। रेडियो संस्था (रेस्क्यूइंग एवरी डिस्ट्रेस इंडियन ओवरसीस), जिसके कैप्टन संजय उपाध्यक्ष भी हैं, के सदस्यों राज सूद और गिरीश से मिलकर पराशर ने इन युवाओं को सुरक्षित घर तक पहुंचाया। युवाओं के घर तक आने के लिए जो भी खर्च हुआ, उसे संजय पराशर ने ही वहन किया है। युवाओं साहिल व अक्षय ने बताया कि दुबई में उनकी जिंदगी नर्क समान हो गई थी और अगर संजय समय पर मदद न करते तो वे मानसिक अवसाद का शिकार भी हो सकते थे। कहा कि संजय के परोपकार को वह जीवन भर नहीं भूल पाएंगे। वहीं, पिता अमरजीत वर्मा ने बताया कि पराशर के कारण उनके बच्चे सकुशल घर पहुंचे हैं। संजय ने उनकी समस्या को जानने के बाद लगातार संपर्क बनाए रखा और रविवार रात को बच्चे अपने परिवार के बीच पहुंच गए हैं। कहा कि संजय ने किसी देवदूत की भांति उनकी सहायता की है। इसके अलावा एक एजेंट के माध्यम से ठगे गए जिला कांगड़ा के चेलरा दी मलाह (मुलथान) के युवा को संजय पराशर ने अपनी कंपनी में रोजगार दिया है तो चिल्ली में लखनऊ के एक नाविक की मौत के बाद उसके पार्थिव शरीर को देश में लाने के लिए संजय प्रयास कर रहे हैं। पराशर का कहना था कि उन्हाेंने लगातार विदेशों की यात्रा की है और उन्हें अच्छे से मालूम है कि अगर कोई व्यक्ति विदेश में फंस जाए तो उसके क्या हालात होते हैं। ऐसे में उनका हर बार यह प्रयास रहता है कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई की जाए। प्रसन्नता की बात है कि हमीरपुर के तीनों युवा अपने घर पहुंच गए हैं।

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