यू ही नहीं बनते जयराम
मेहनत ईमानदारी कठिन परिश्रम से वो मुकाम हासिल किया
गर्व है हमें भाजपा के इस मजबूत नेतृत्व पर।
शिमला। सतीश शर्मा।
गरीब का दुख दर्द समझते हैं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर गरीबों के मसीहा है बुढ़ापा पेंशन लोगों के लिए वरदान
6 जनवरी 1965 को मंडी जिले की थुनाग तहसील के तांदी गांव में एक बच्चे का जन्म होता है। धीरे-धीरे वो बच्चा अपनी बालक अवस्था में आता है। बालक अवस्था में आने के साथ ही गरीबी क्या होती है उसे वो बालक बहुत करीब से देखते हुए अपने जीवन की राह पर आगे बढ़ता है।
जेठूराम और ब्रिकमू देवी के घर में जन्मे बच्चे की शिक्षा की शुरुआत कुराणी स्कूल से होती है और बगस्याड़ से उच्च शिक्षा वो बच्चा पूरी करता है । घर से मीलों दूर पैदल चलकर स्कुल पहुंचना और फिर स्कूल से घर पहुंचना एक वो सफर था उस बच्चे के लिए जिसने उसकी हिम्मत को कम करने की जगह और मजबूत कर दिया। पढाई में होशियार होने की वजह से शुरू से ही वो बच्चा अपने शिक्षकों की नजरो में बहुत अच्छी छवि बनाते हुए अपनी स्कूली शिक्षा को पूरा करता है।
परिवार में तीन भाई और दो बहनें थी। पिता खेतीबाड़ी और मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते थे। वो बच्चा तीन भाइयों में सबसे छोटा था।
पढ़ाई में तेज़ होने की वजह से उनकी पढ़ाई-लिखाई में परिवार वालों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। बगस्याड़ से उच्च शिक्षा लेकर वो पढाई के लिए मंडी आ गए।
मंडी कॉलेज से बीए की पढाई करने के साथ वो एबीवीपी और संघ से जुड़कर कार्य करते रहे। उनके जीवन में वोही वो लम्हा था जब उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे ही बढ़ते चले गए। अपनी कर्तव्य निष्ठां ईमानदारी शालीनता सभी के साथ मिलजुलकर रहने की आदत की वजह से वो 1986 में एबीवीपी के जॉइंट सेक्रेटरी भी रहे।
उसके उपरांत वो 1989-93 तक भाजयुमो के स्टेट सेक्रेटरी रहे। इस दौरान भी उन्होंने बहुत बेहतरीन कार्य किये।
बुलंद आवाज मजबूत इरादों के साथ वो आगे ही बढ़ते चले गए और उसका ईनाम उन्हें मिला जम्मू-कश्मीर जाकर उन्होंने एबीवीपी का प्रचार किया जिसके बाद वो 1992 में घर लौटे।
फिर वो वक़्त आया शायद जिसके लिए ही वो इतनी कठनाईयो के बाद भी रुके नहीं निरंतर आगे बढ़ते चले गए । वर्ष 1993 में उन्हें उनकी कार्यशैली को देखते हुए भाजपा ने सिराज विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा।
लेकिन ये डगर उनके लिए इतनी आसान नहीं थी अपना पहला चुनाव वो हार गए। चुनाव हारने का असर ये हुआ था की उनके घरवालों ने उनका राजनीति में जाने का खुलकर विरोध किया और उनके विरोध को उनके चुनाव हारने की वजह से और मजबूती मिल चुकी थी । परिवार के सदस्यों ने उन्हें पहले ही राजनीति में न जाकर खेतीबाड़ी संभालने की सलाह दी थी। गरीब परिवार से निकलकर कोई राजनीती में अपनी जगह बना पाए ये बहुत मुश्किल था और वो एक गरीब परिवार से सबंध रखते थे जिनका जीवन यापन खेतीबाड़ी पर ही निर्भर था हालाँकि उनके पिता जी मिस्त्री का कार्य करते थे लेकिन फिर भी आय के साधन इतने नहीं थे परिवार के लिए की वो दुबारा राजनीती चुनाव लड़ने के बारे में सोचते।
लेकिन अपनी अलग पहचान मजबूत इरादों की वजह से उनका एक अपना नाम बन चूका था उनकी शालीनता जमीन से जुड़े वयक्तित्व के चर्चे घर घर में हो रहे थे। फिर उन्होंने अपने दम पर राजनीति में डटे रहने का निर्णय लिया।
उस वक्त वे महज 26 वर्ष के थे।1998 में भाजपा ने फिर उन्हें चुनावी रण में उतारा। इस बार उन्होंने ने जीत हासिल की। और इसके बाद कभी हार का मुंह नहीं देखा।
वर्ष 1995 में उन्होंने जयपुर की डॉ. साधना सिंह से शादी की। और आज उनकी दो बेटियां हैं जो दोनों डॉक्टर की पढ़ाई कर रही हैं ।
वे एक बार सिराज मंडल भाजपा के अध्यक्ष, एक बार प्रदेशाध्यक्ष, राज्य खाद्य आपूर्ति बोर्ड के उपाध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। अपनी मेहनत के दम पर 2006-09 तक उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए हिमाचल प्रदेश में भाजपा को प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लाने का कार्य किया।
5 बार विधनसभा का चुनाव जितने वाले जयराम ठाकुर जी आज हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। जमीन से जुड़े हुए नेता की पहचान उनकी सबसे बड़ी ताकत है लोगों के दर्द को अपना दर्द समझने वाले मिलनसार जयराम ठाकुर जी ने अपने अब तक के कार्यकाल में जनता के हित में एक नहीं कई ऐसी योजनाओ को शुरू किया है जिनका लाभ आज प्रदेश की जनता को मिल रहा है।
पहली बार मुख्यमंत्री पद पर पहुंचे और इनके कार्यकाल में वैश्विक महामारी कोरोना ने भी दस्तक दी लेकिन खुद फ्रंट से मोर्चे पर डटे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर दिन रात प्रदेश की जनता की सेवा में लगे हुए हैं।
पीएम मोदी जी यूँ ही बार बार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी की पीठ नही थपथपाते मुख्यमंत्री जी की ईमानदार कार्यशैली के पीएम मोदी जी भी दीवाने है आज प्रदेश में जिस तरह वैक्सिन अभियान तेज़ी से कामयाब हुआ है वो मुख्यमंत्री जी की मजबूत इच्छाशक्ति से संभव हुआ है जिसमें सभी हैल्थ वर्कर्स प्रदेश की जनता और पीएम मोदी जी का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण रहा है।
इसलिए कहता हूँ यूँ ही नहीं बनते जयराम
अपनी मेहनत के दम पर ये मुकाम हासिल किया है जयराम ने
हम सब प्रदेशवासियों को गर्व करना चाहिए की हमें जयराम जी के रूप में एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला है जिसकी ईमनदारी पर कोई ऊँगली नहीं उठा सकता।
हिमाचल प्रदेश के गरीब लोगों के लिए तो जयराम ठाकुर मसीहा बनकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं चाहे बुढ़ापा पेंशन के लिए आयु सीमा 80 वर्ष से 70 वर्ष करना तथा महिलाओं के लिए आयु सीमा 65 वर्ष करना जय राम ठाकुर की सोच का ही परिणाम है मनरेगा स्कीम के अधीन कामगार कल्याण बोर्ड के सौजन्य से गरीबों के लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता बच्चों की शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप साहित्य स्कीमों का लाभ हिमाचल प्रदेश के गरीब लोगों को मिल रहा है। इसके अलावा अथाह विकास के कार्य उन्होंने प्रदेश में करवाए हैं पूरा himachal उनके लिए घर है।