टॉप न्यूज मीडिया
हमारे लिए पत्रकारिता धंधा नहीं है
संपादकीय सतीश शर्मा की कलम से
पत्रकारिता समाज सेवा के लिए एक साधन है पत्रकारिता कभी धंधा नहीं हो सकती लेकिन इस पर टिप्पणी करने से पहले हम आपको टॉप न्यूज मीडिया के जन्म की कहानी बताते हैं। स्कूली शिक्षा के दौरान पत्रकारिता में रुचि ने आज टॉप न्यूज मीडिया का प्लेटफॉर्म खड़ा कर दिया है इसके पीछे 1985 के दशक की कहानी है हिमाचल प्रदेश में हिमाचल केसरी पत्रिका धर्मशाला से प्रकाशित होती थी। हिमाचल केसरी के प्रवीण राय उस अखबार के संपादक थे उसे दौरान स्कूली शिक्षा के दौरान हमने संपादक के नाम पत्र लिखने शुरू किया उसके बाद संपादक ने हमें खबरें भेजने के लिए भी छूट दे दी। सबसे छोटी उम्र के पत्रकार के रूप में जो सफर शुरू हुआ कॉलेज के समय भी वह चलता रहा। ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में द अदर फेस ऑफ़ इंडिया इंग्लिश फाइनल के सिलेबस में एक बुक थी परीक्षा पास करने के लिए उस किताब को पढ़ना भी जरूरी था। हमीरपुर डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर एजे सिंह की धर्मपत्नी प्रोफेसर अतिया सिंह उसे इंग्लिश की प्रोफेसर थी इस दौरान द अदर फेस ऑफ़ इंडिया ने हमें पत्रकारिता के लिए प्रेरित किया। द अदर फेस ऑफ़ इंडिया एमवी कामत थे इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया के संपादक की भारत यात्रा की पूरी कहानी थी जिसमें उन्होंने भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों का भ्रमण किया था तथा उसे उस दौरान उन राज्यों में उन्होंने जो देखा था उसे द अदर फेस ऑफ़ इंडिया में पब्लिश किया था। संपादक के नाते उन्होंने भारत का भ्रमण किया था हिमाचल पंजाब हरियाणा जम्मू कश्मीर बिहार राजस्थान गुजरात सेवेन सिस्टर्स स्टेट सहित कई राज्यों का उन्होंने दौरा किया था। पूरी कहानी द अदर फेस ऑफ़ इंडिया में जब हमने पड़ी तो मन में विचार आया कि पत्रकारिता को पेशा बनाया जाएगा लेकिन उससे पहले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से सरदार वल्लभभाई पटेल कॉलेज से एम ए इंग्लिश की डिग्री प्राप्त करने का निश्चय किया उसमें मेरे बड़े भाई तथा सहपाठी वेद शर्मा की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। 2 साल की डिग्री लेने के बाद जब 1994 में हम घर आए तो दीनदयाल उपाध्याय डिग्री कॉलेज में अंग्रेजी विषय पढ़ाने के लिए नियुक्ति मिली। इस दौरान हिमाचल प्रदेश में अजीत समाचार हिंदी की शुरुआत हुई तथा जनसत्ता के बाद हम अजीत समाचार पत्र से जुड़ गए। क्रमशः