कैप्टन संजय के कारण बी-फार्मेसी की पढ़ाई बीच में नहीं छोड़ेगी उमा
-फीस भरने में की मदद तो मासिक स्काॅलरशिप भी देगें पराशर
डाडासीबा- सतीश शर्मा।
जसवां-परागपुर क्षेत्र के चलाली गांव में रह रही बिहार राज्य की होनहार छात्रा उमा की पढ़ाई में अब आर्थिक कारण बाधा नहीं बन पाएंगे। कैप्टन संजय पराशर ने इस बेटी की ऐसे समय में मदद की है, जब वह फीस न भर पाने के कारण कॉलेज छोड़ने का मन बना चुकी थी। संजय के साथ उनके छह दोस्तों ने भी उमा की फीस भरने में सहयोग दिया है।
दरअसल बिहार के सीतामढ़ी के मेजरगंज की निवासी उमा का परिवार चलाली गांव में कमाने के लिए आया था, लेकिन यह भाग्य की विडंबना थी कि असमय उसके सिर से पिता का साया उठ गया तो माता भी अस्वस्थ हो गई। घर में खाने तक के लाले पड़ गए। इस मुश्किल वक्त में निस्संदेह चलाली वासियों का सहयोग रहा। चलाली में इस परिवार को रहने के लिए बिना किराए के मकान दिया गया और कुछ परिवार राशन भी उपलब्ध करवाते रहे हैं। वहीं, मैट्रिक में 81 प्रतिशत और जमा दो में 74 प्रतिशत अंक हासिल करने वाली उमा को बी. फार्मेसी कॉलेज, पंचकूला में दाखिला मिल गया। मां की भी जिद्द थी कि बेटी को हर हाल में उच्च शिक्षा दी जाए। पहले सेमेस्टर की फीस तो मां अनिता देवी ने खेत बेचकर भर दी, लेकिन दूसरे सेमेस्टर में कैसे फीस भरी जाएगी, इसका जबाव न उमा और न ही उसके परिवार के पास था। हताश व निराश उमा कॉलेज को छोड़ कर मजदूरी करने का मन बना चुकी थी। ऐसे में गांव के ही किसी व्यक्ति ने उमा को कैप्टन संजय से संपर्क करने को कहा। संजय ने इस होनहार बेटी की व्यथा सुनने के बाद भरोसा दिलाया कि अब आर्थिक कारण उसकी पढ़ाई में रूकावट नहीं बनेंगे। उमा की पढ़ाई के लिए पराशर ने ग्यारह हजार रूपए की राशि दी तो उनके सहयोगियों रविन्द्र कालिया, भूषण कालिया, कुंदन गर्ग, विकास और राजेश ने भी दस हजार रूपए दिए हैं। इसके अलावा पराशर ने हर महीने उमा को एक हजार रूपए की स्कॉलरशिप देने का निर्णय लिया है। बड़ी बात यह है कि होनहार विद्यार्थियों के लिए कैप्टन संजय एक मुश्त आर्थिक मदद के साथ मासिक छात्रवृति भी देते हैं। पराशर ने इसी वर्ष चिंतपूर्णी कॉलेज के 175 विद्यार्थियों का वार्षिक शुल्क भी भरा था। उमा की मां अनिता देवी का कहना था कि पराशर उनके परिवार के लिए किसी मसीहा जैसे हैं। यह सच है कि उनकी बेटी कॉलेज छोड़ने वाली थी क्योंकि उनके पास कोई दूसरा और विकल्प भी नहीं था। पराशर ने उनकी उस वक्त मदद की जब वह हर तरफ से आस छोड़ चुके थे। देवी ने पराशर का आभार जताते हुए कहा कि उनके पास संजय को देने के लिए सिर्फ दुआएं ही हैं। वहीं, संजय का कहना था कि होनहार छात्रा उमा व उसके परिवार के लिए चलाली वासी भी सहयोग कर रहे हैं। इसी तरह की मदद करने वालों से उन्हें भी प्रेरणा मिलती है।
तुलसी-शालिग्राम के विवाह कार्यक्रम में शामिल हुए पराशर
गरली में तुलसी-शालिग्राम के विवाह कार्यक्रम में कैप्टन संजय भी शामिल हुए। अपने संबोधन में पराशर ने कहा कि देश के विभाजन के समय कई परिवार अपना सब कुछ छोड़कर साथ सिर्फ तुलसी का पौधा साथ लेकर भारत आए थे। इतिहास में यह बात दर्ज है। कहा कि उनकी इच्छा है कि फिर से पूर्वजों की जमीन पर ऐसे परिवार बिना वीजा के जा पाएं। इसके लिए वह हर दिन भगवान से प्रार्थना करते हैं।

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