अपने दम पर आगे बढे लोग तूफानों के आगे भी नहीं झुकते
बंदा है ईमानदार
दम तो है सुक्खू में
हमीरपुर /बड़सर। सतीश शर्मा बिट्टू। अपने दम पर जीवन में आगे बढे लोग तूफानों के आगे भी झुकना नहीं जानते हैं। ऐसे ही लोगों में से हमीरपुर जिला के नादौन विधानसभा क्षेत्र के छोटे से गांव के आम साधारण परिवार में जन्मे हिमाचल पथ परिवहन निगम में सेवारत रहे कर्मचारी के बेटे सुखविंदर सिंह जीवन में अपने दम पर आगे बढ़े हैं। तूफानों से टकराना उनको आता है। भले ही बडसर का दौरा आज रद्द हो गया है तथा मुख्यमंत्री बड़सर के दौरे पर बाद में आएंगे लेकिन राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया है। हमीरपुर जिला से कांग्रेस पार्टी से प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना हमीरपुर जिला के नाम रिकॉर्ड भी बना है चाहे सरकार भाजपा की हो अथवा कांग्रेस की हमीरपुर जिला की जनता ने जमकर चाहे प्रेम कुमार धूमल हो चाहे सुखविंदर सिंह सुक्कू दोनों का हाई कमांड तथा लोगों ने भरपूर साथ दिया भले ही पार्टी के कुछ लोग दोनों को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखने की जगह विभीषण बन गए लेकिन दोनों नहीं अपने दम पर मुकाम हासिल किया। राजनीति में छात्र राजनीति से सीआर से सीएम सीएम की कुर्सी का सफर आसान नहीं होता लेकिन सुखविंदर सिंह ने जब ठान लिया एक दिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठूंगा तो एक-एक को देख लूंगा। मुख्यमंत्री ईमानदार हैं उनकी ईमानदारी का समर्थन पूर्व में मुख्यमंत्री रहे चाहे शांता कुमार हो अथवा प्रेम कुमार धूमल दोनों का ही आशीर्वाद सुखविंदर सिंह को मिला है। पूरे देश के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अनाथ बच्चों के बारे में सोचा ही नहीं बल्कि अनाथ बच्चों के अभिभावक भी सुखविंदर सिंह बने। आज अनाथ बच्चों के लिए मां-बाप से भी बढ़कर मुख्यमंत्री हैं। प्रदेश में अपनी कुर्सी पर बाद में बैठे पहले उन्होंने अनाथ आश्रम के बच्चों के पास जाकर उनके दुख दर्द को समझा शायद ही पूरे देश में वह पहले मुख्यमंत्री हैं जिनके नाम यह रिकॉर्ड दर्ज हुआ है।
मित्रों के मित्र हैं सुक्खू प्रदेश के जब मुख्यमंत्री बने तो सबसे पहले सुनील शर्मा बिट्टू जो उनके सुख-दुख में साथी रहे थे उन्हें बिना चुनाव लड़े ही सीधा कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर सम्मानित किया। हिमाचल के इतिहास में यह रिकॉर्ड भी उनके नाम जाता है।
बिना केंद्र सरकार की सहायता से ढाई साल तक आपदाओं की स्थिति में भी उन्होंने प्रदेश की सरकार को चलाया है।
प्रदेश के कर्मचारियों के लिए ओटीएस देकर सुखविंदर सिंह ने लोगों का दिल जीत है।
1 महीने में दो बार सैलरी देने का रिकॉर्ड
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के नाम को लेकर विपक्ष जितना भी हल्ला करें लेकिन प्रदेश में सुखविंदर सिंह पहले मुख्यमंत्री बने हैं जब एक महीने में दो बार कर्मचारियों को वेतन मिला था।
पहले मुख्यमंत्री हिमाचल के जिन्होंने अपनी पत्नी को भी अन्य जिला से विधानसभा चुनाव लड़कर विधानसभा में भेजा
जब उनके साथी रहे कांग्रेस के विधायकों ने उन्हें कुर्सी से हटाने के लिए भाजपा के साथ मिलकर कार्यक्रम तय किया तो मुख्यमंत्री मैं उसे स्थिति का भी डट कर मुकाबला किया ऑपरेशन लोटस को मुंह की खानी पड़ी।
जब मुख्यमंत्री बनना था तो उनके कांग्रेस के ही लोगों ने नारेबाजी भी की सुख-दुख नहीं चलेंगे परंतु सुखविंदर सिंह मुख्यमंत्री भी बने तथा विरोधियों की छाती पर मूंग दलकर आगे भी बढ़ रहे हैं।
जिद्दी जरूर है लेकिन ईमानदार हैं। जब कोई सारी मर्यादाएं तोड़ता है तो मुख्यमंत्री उन्हें सबक सिखाना भी जानते हैं।
मीडिया के लिए प्रदेश में योगदान
सोशल मीडिया के जमाने में जब हर व्यक्ति अपना मोबाइल लेकर पत्रकार बनने की होड़ में लगा था तो मुख्यमंत्री ने विधानसभा में सरेआम झोलाछाप मीडिया प्रोपेगेंडा मीडिया का जमकर विरोध ही नहीं किया बल्कि जो मीडिया के बंधु जिन्होंने पत्रकारिता में ग्रेजुएशन पोस्ट ग्रेजुएट एमफिल पीएचडी कर रखी है उनका मान भी बढ़ाया है। झोलाछाप मीडिया को सबक सिखाने का किसी ने काम किया है तो वह सुखविंदर सिंह है आज मीडिया इस बात के लिए उनका आभार भी प्राप्त करता है।
हिमाचल प्रदेश में प्रशन की परीक्षाओं के पेपर बेचने वालों को सिखाया सबक
मुख्यमंत्री सुखविंदर ने जब देखा कि मेरिट तथा स्कॉलर में रहे युवा सिलेक्ट नहीं हो रहे हैं तथा अपने चाहतों को नौकरियों की बंदर बांट की जा रही है तो उन्होंने प्रेम कुमार धूमल द्वारा हमीरपुर जिला में खोले गए कर्मचारी चयन आयोग को भंग ही कर दिया।
चाहे चाहे जिद्दी जितने मर्जी हो लेकिन अनुशासनहीनता की जब कोई सीमाएं तोड़ता है तो उन्हें सबक सिखाना भी बेहतर जानते हैं सुखविंदर सिंह। उनका सफर यूं ही जारी रहेगा इसी उम्मीद के साथ
बेबाक पत्रकारिता के लिए हिमाचल के साथ देश-विदेश में भी जाने वाले
सतीश शर्मा विट्टू एमफिल पत्रकारिता एवं जनसंचार
मुख्य संपादक