आबादी रोको वरना बर्बादी के लिए तैयार हो जाओ पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार3
पालमपुर – हिमाचल प्रदेष के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा पूरा देश वर्षा के पानी से दुखी है, पीड़ित है। पहले बाहिर भीखते थे अब घर के अन्दर ही हजारों लोग भीख रहे है। अस्पतालों से लेकर घर, दफतर पानी से भरे पड़े हैं। सैंकड़ों लोग मर चुके हैं सैंकड़ों गरीबों के घर पानी में डूब गये है । देश के गरीब व्यक्ति आजादी के 75 साल के बाद भी आसमान के नीचे सिर पर हाथ रख कर खड़े हैं।
उन्होंने कहा बरसात के कारणों की लम्बी चर्चा हो रही है परन्तु मुझे दुख है कि मूल असली कारण की तरफ नेताओं का ध्यान नही जा रहा है।
शांता कुमार ने कहा देश में विकास को इस विनाश का सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है। परन्तु सोचें, विकास में सड़क गाड़ी कारखाने किस लिए बनाने पड़े है। यह सब इसीलिए बनाने पडते है क्योंकि आबादी बढ़ जाती है। बढ़ती आबादी के दबाव में ही अधिक विकास की जरूरत और प्रकृति से छेड़छाड़ होती है। बिना जरूरत के कभी कहीं पर सड़कें और कारखानें नही बनाये जाते।
उन्होंने कहा नीति आयोग ने एक महत्वपूर्ण लम्बी रिपोर्ट में कहा है कि देश में पीने के पानी का भयंकर संकट आ रहा है। कुछ वर्शों के बाद कुछ स्थानों पर पीने का पानी नही होगा। मुझे हैरानी है कि नीति आयोग ने इसका कारण नही बताया। कारण सीधा सा है। 1947 में जिस पानी को 35 करोड़ लोग पीते थे अब उसे पीने के लिए 140 करोड़ लोग हो गये है। जनसंख्या बढ़ रही है तो कोई भी समझ सकता है कि पानी का आकाल पड़ेगा।
शांता कुमार ने कहा देश की राजधानी दिल्ली गैंस चैम्बर बन गई। विष्व की सबसे अधिक प्रदूशित राजधानियों में दिल्ली का नाम आ गया। प्रदूशण के कारण ही हजारों लोग मर रहे हंै। युवा बच्चों में प्रदूशण के कारण कैंसर की बिमारी भी बढ़ रही है। इस सबका कारण साफ और सीधा है जो किसी कम बुद्धि वाले व्यक्ति को भी दिखाई देगा। परन्तु दुर्भाग्य से आज के कुछ नेताओं को नही दिखाई देता। 1947 में दिल्ली की आबादी केवल 7 लाख थी आज दिल्ली की आबादी 2 करोड़ हो चुकी है। जो दिल्ली 7 लाख लोगों को साफ सुथरी हवा देती थी वह 2 करोड़ लोगों को प्रदूषित हवा और बिमारियां ही दे सकती है।
उन्होंने कहा बढ़ती आबादी के कारण गरीबी और बेरोजगारी बढ़ी। भ्रश्टाचार बढ़ते बढ़ते पेपर लीक और न जाने कहां कहां पहुंच गया। इसका भी एक कारण बढ़ती आबादी, बेरोजगारी और गरीबी के कारण जीने की मजबूरी है। भुखा क्या नही करता। इस सबके कारण युवा पीढ़ी में भयंकर निराशा और हताशा बढ़ रही है। कुछ युवा अपराध की दुनिया में जा रहे है और आत्महत्यायं भी बढ़ रही है। इस वर्ष एक लाख 75 हजार युवाओं ने आत्महत्यायं की है।
षान्ता कुमार ने कहा पूरे विष्व में पर्यावरण दिवस मनाया गया। उसके कारण होने वाले खतरों पर चर्चा हुई परन्तु मूल कारण जन संख्या विस्फोट की और बहुत कम नजर गई।
भारत की आबादी प्रतिदिन 50 हजार बढ़ रही है। वर्ष में 1 करोड़ 70 लाख बढ़ती है। विष्व के 190 देशो में से 140 देशों की आबादी 1 करोड़ से कम है। इस प्रकार भारत प्रतिवर्श दो नये देश साथ जोड़ लेता है।
उन्होंने कहा बढ़ती आबादी के दबाव में देश की राजधानी दिल्ली में अवैध बस्तियां बस गई। लगभग 20 करोड़ लोग रहने लगे। कहने को अवैध थी परन्तु उनमें बिजली और पानी दे दिया गया। बाद में वोट बैंक की मजबूरी में सभी पार्टियों ने मिल कर उन अवैध बस्तियों को बैध करवा दिया।
पिछले वर्ष 15 अगस्त को लाल किले से अपने भाशण में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जनसंख्या विस्फोट षब्द का प्रयोग करके इस समस्या की चर्चा की थी। मुझे उम्मीद थी कि इस वर्श यह आवष्यक निर्णय हो जाएगा। मुझे दुख है हुआ नही। अब पानी सिर से ऊपर निकल गया है। दीवार पर लिखा हुआ साफ सीधा दिखाई दे रहा है – आबादी रोको वरना बर्वादी के लिए तैयार हो जाओ।