शहीद प्रताप सिंह के नाम पर रखा राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल भेडी का नाम
स्कूल का नाम शहीद के नाम पर करवाने में उनके भतीजे महेंद्र सिंह डीईपीकी मेहनत रंग लाई
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तथा विधायक जीत राम कटवाल का जताया आभार
शहीद के नाम पर स्कूल का नाम होने पर क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर

बिलासपुर जिले के शहीद प्रताप सिंह के नाम पर भेड़ी राजकीय वरिष्ठ पाठशाला का नाम रख दिया गया है इस स्कूल का नाम शहीद के नाम पर करने के लिए उनके भतीजे महेंद्र सिंह जो वर्तमान में मॉडल राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल शाहतलाई में डीईपी के पद पर तैनात रही है उनकी भूमिका अग्रणी रही। उन्होंने अपने चाचा के नाम पर जो 1971 पाक युद्ध में शहीद हुए थे के नाम पर स्कूल का नाम दर्ज करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। शहीद चाचा स्वर्ग से महेंद्र सिंह को जमकर आशीर्वाद दे रहे होंगे कि जिनका नाम लोग भूल चुके थे उनके नाम पर स्कूल का नाम दर्ज करवाने में उनके भतीजे ने जो योगदान दिया है वह अतुलनीय है। खेलों के क्षेत्र में भी महेंद्र सिंह का नाम भारतवर्ष में जाना जाता है उनके कई छात्र नेशनल तक खेल चुके हैं तथा भारत का नाम रोशन किया है महेंद्र सिंह ने top news हिमाचल को बताया कि उनका सपना है कि उनके द्वारा प्रशिक्षकखिलाड़ियों को आगे लाने का मौका दिया जाए तो ओलंपिक से भारत के लिए गोल्ड लाया जाए। top news हिमाचल केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से आह्वान करता है कि ऐसे हीरो की कदर कर उन्हें इस पुनीत कार्य में लगाया जाए ताकि हिमाचल का नाम विश्व में रोशन हो सके।

शहीद प्रताप सिंह की जीवनी शहीदी दिवस 24-10-1971

शहीद प्रताप सिंह गाईसमैन (सैनिक नं. 3964400) सुपुत्र स्व. श्री चन्दू राम पौत्र स्व. श्री दलीपा राम नम्बरदार का जन्म गांव सुबैहरा (सनीहरा ) डा. गंगलोह जिला

बिलासपुर (हि.प्र.) के घर 27.02.1946 को हुआ था। शहीद प्रताप सिंह बचपन से ही बहुत बहादुरी से कार्य करने के लिए जाने जाते थे । प्रथम सरकारी सेवा विकास खण्ड झण्डूता से शुरू की परन्तु देश के प्रति देश प्रेम व अपने बड़े भाई (हवलदार श्री चौकस जिन्होंने 1962-1965-1971 के युद्ध लड़े) से प्रेरित होकर उन्होंने इस नौकरी से त्याग पत्र देकर 27. 02.1966 को भारतीय सेना में पहली “ऑल इंडिया” मिश्रित रचना वाली इन्फैंट्री ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स/गार्ड ब्रिगेड में भर्ती हो गए । शहीद प्रताप सिंह गार्ड्समैन ने 24.10.1971 (ओ पी ऑक्टस सीटी) को लगभग 25 वर्ष की अल्पायु में भारत पाक युद्ध 1971 में मुक्ति वाहिनी सेना में पाकिस्तान सेना के विरुद्ध की गई कार्यवाही के दौरान मातृ भूमि की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच बलिदान दिया । यह वो एतिहासिक युद्ध था जिसमें 93000 पाक सैनिकों को बन्दी बनाया गया ।

मरणोपरान्त उन्हें वीरता पुरस्कार विशिष्ठ सेवा पदक (क्लार्प नागा हिल 1947) से नवाजा गया। आज देश के शहीदों के पार्थिव शरीर को घर में सम्मान के साथ पंहुचाया जाता है। परन्तु शहीद प्रताप सिंह गार्ड्समैन का शरीर तो दूर अस्थियां भी नहीं पंहुच पाई शहीदी प्रमाण पत्र भी 16.12.1999 को विजय दिवस के दिन थल सेना अध्यक्ष जनरल वेद मलिक द्वारा 28 वर्षों के बाद प्राप्त हुआ |

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