सम्पूर्ण मानव जाति के पथ-प्रदर्शक थे संत रविदास-कैप्टन संजय
रैल और ज्वाल पंचायतों में रविदास जयंती पर पराशर ने लगवाई हाजिरी
डाडासीबा-सतीश शर्मा।
जसवां परागपुर क्षेत्र के सांडा और चिन्तपूर्णी के
जवाल गांवों में गुरू रविदास जयंती के उपलक्ष्य में संत रविदास मंदिर कमेटी द्वारा आयाेजित किए समारोह में कैप्टन संजय पराशर ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की। इस मौके पर पराशर ने कहा कि संत रविवदास ने रूढ़ीवादी पंरपरा को मिटाने का प्रयास किया और समाज में फैले जात-पात के भेदभाव को समाप्त करने की प्रेरणा दी। गुरू शिक्षा ही मनुष्य को अंधेरे से उजाले की और ले जाती है। उन्होंने समाज को गुरु रविदास महाराज के बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। कहा कि संत रविदास महाराज भारत के उन चुनिंदा महापुरुषों में से एक हैं, जिन्होंने अपने वचनों से सारे संसार की एकता और समरसता पर ज़ोर दिया। असमानता की भावना और समाज में जाति पंथ और सम्प्रदाय की मुश्किल परिस्थितियों में अपने अनुयायियों को और समाज को एकत्रित रखने में वह सफल रहे। कहा कि गुरू रविदास किसी एक जाति या सम्प्रदाय के गुरू नहीं, थे बल्कि वह पूरी मानव जाति के पथ-प्रदर्शक थे। श्री गुरू रविदास जी का चिंतन भी किसी एक जाति तक सीमित नहीं था। यही कारण है कि हम उन्हें आज सब मिलकर 645 वर्ष बाद भी स्मरण कर रहे हैं और उनके मार्ग पर चलने का संकल्प ले रहे हैं। आज रविदास जी अपने चिंतन-दर्शन और शिक्षाओं के कारण पूरे विश्व में प्रचारित हैं।
गुरू रविदास जी की शिक्षाएं मानव-मात्र के कल्याण के लिए हैं। कहा कि संत रविदास जी भक्ति आंदोलन के प्रतिपादक थे। उन्होंने सदैव सत्य, वास्तविकता और कर्म का संदेश दिया। उस समय समाज में फैले ढ़ोंग और आडम्बर का विरोध करते हुए गुरू रविदास जी ने कहा था कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। उनकी शिक्षाओं को हम सब ने अपने जीवन में उतार कर समभाव की और आगे बढ़ना होगा, तभी देश को भेदभाव से छुटकारा मिलेगा और देश तरक्की करेगा। इस अवसर पर ज्वाल कमेटी के प्रधान सोमदत्त काजला ने शाल व स्मृति चिंह देकर सम्मानित किया। काजला ने कहा कि गत वर्ष पराशर ने भवन निर्माण के लिए तीन लाख रूपए दिए थे, उसका काम पूरा ही गया है। समस्त कमेटी व ज्वाल गांववासी इसके लिए पराशर के आभारी हैं। वहीं, रैल पंचायत के सांडा में गुरु रविदास मंदिर के भवन निर्माण के लिए भी कैप्टन संजय ने इक्कीस हजार रुपए का योगदान दिया।