हमीरपुर। सतीश शर्मा। तत्कालिक पंजाब के कांगडा जिला के हमीरपुर तहसील में कोठी गांव के बसंत राम हलवाई के घर जब बेटे बक्शी राम का जन्म हुआ तो भारत की आजादी से पूर्व 23 अक्टूबर को कोठी गांव में भी आज से 85 वर्ष पूर्व जश्न मनाया था दो बेटियों के जन्म के बाद बेटे ने जन्म लिया था पिता ने नाम रखा बक्शी राम। मेरे पूजनीय पिता आपके बचपन की कहानी है जन्म के चंद साल बाद माता का देहांत हो गया उसके बाद पिता ने पालन पोषण किया पढ़ाई के लिए पंजाब के अमृतसर में स्कूली शिक्षा पूरी की। दादाजी लाहौर रावलपिंडी में भी हलवाई का काम करते थे। बाद में अमृतसर गोल्डन टेंपल तथा जलियांवाला बाग के समीप रहकर आपने पढ़ाई की जब पढ़ाई के बाद पंजाब सरकार का पब्लिक सर्विस कमीशन का टेस्ट दिया तो कुल्लू जिला में पहली अपॉइंटमेंट हुई। बाद में ही जब हिमाचल रि ऑर्गेनाइज हुआ तथा हिमाचल प्रदेश में सरकारी नौकरी कई जिलों में की जिनमें चंबा कांगड़ा हमीरपुर मंडी सोलन प्रमुख रहे। 1998 में रिटायरमेंट हुई तो हमीरपुर जिला के कोठी गांव में अपने पैतृक मकान में अपना जीवन में गुजारा। आपका मूल मंत्र था बच्चों के लिए धन एकत्रित करने की जगह उन्हें पढ़ाई में बेहतर बनाओ। आपके मार्गदर्शन में पांच विषयों में स्नातकोत्तर उपाधि तथा दो विषयों में ग्रेजुएशन, पत्रकारिता एवं जनसंचार में एमफिल की डिग्री करने के बाद आधा दर्जन से अधिक दैनिक समाचार पत्रों में लेखन का कार्य किया वर्तमान में टॉप न्यूज़ आपके दिखाएं मार्गदर्शन का नतीजा है जो हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि इसके पाठक कई अन्य देशों में भी है। पापा आप से वायदा है पत्रकारिता में टॉप न्यूज़ ग्रुप कभी खबरों से समझौता नहीं करेगा गरीब की आवाज उठाने का हम संकल्प लेते हैं आप के दिखाए मार्ग पर आगे बढ़ने का आपका जीवन संघर्ष की कहानी रहा है हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत रहेगा आप इस दुनिया में नहीं हमारे दिलों में राज करते हैं जन्मदिन मुबारक। आप हमें 29 दिसंबर 2017 को सदा के लिए इस दुनिया को अलविदा कर ब्रह्मलीन हो गए। आपके दिखाएं मार्ग पर चलना हमारे लिए गर्व की बात है। आज आपकी पोती तमन्ना शर्मा, पोते हर्ष, बेटे सतीश शर्मा पवन शर्मा पुत्र वधू अनीता शर्मा दीपा शर्मा तथा आपकी अर्धांगिनी विद्या शर्मा सब आपको नमन करते हैं। आपका स्नेह तथा आशीर्वाद हमेशा हमें मिलता रहे। ना कोई चिट्ठी ना संदेश जहां तुम चले गए कई बार सपनों में आपसे मुलाकातें भी हुई। आपका मार्गदर्शन जाने के बाद भी मिलता है। अब निशब्द। सिर्फ आपकी यादें हैं और हम अकेले।