हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के दो हफ्तों का विश्लेषण
हमीरपुर। सतीश शर्मा। सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश का ऐसा नाम है जिसने कभी चापलूसी चाटुकारिता नहीं कि अगर करते तो जो परिणाम आज मिले हैं वह कभी नहीं मिलते। पहले बात करते हैं दो हफ्तों की जब से मुख्यमंत्री बने हैं चर्चा में है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव के नतीजे निकले। जब शिमला पहुंचे तो उनके साथ हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी से जीते विधायकों का एक बड़ा वर्ग सा था। शिमला में मुख्यमंत्री को लेकर नारेबाजी शुरू हो गई। दूसरी तरफ सुखविंदर सिंह सुक्खू को कई विधायकों का साथ मिला। राजेश धर्मानी जो बिलासपुर जिला से विधायक बने थे उन्होंने विधायकों को एकजुट करने में तथा सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। जब मुख्यमंत्री के लिए प्रतिभा सिंह राजा वीरभद्र की धर्मपत्नी सहित कई नाम लिए जा रहे थे। सुखविंदर सिंह सुक्खू के बयान आने शुरू हो गए की मैं किसी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं हूं मैं कांग्रेस पार्टी का एक सिपाही हूं तथा पार्टी जो आदेश देगी मैं अक्षरांश उसका पालन करूंगा। प्रतिभा सिंह के मुख्यमंत्री बनने के लिए नारेबाजी हुई सुखविंदर सिंह सुक्खू मोर्चे पर अपनी टीम के साथ डटे रहे। जीत उनकी हुई कांग्रेस के सभी विधायकों ने प्रस्ताव पारित किया की हाईकमान जिसका नाम तय करेगा वह हिमाचल का कांग्रेस पार्टी का विधायक दल का नेता होगा वही मुख्यमंत्री बनेगा। हाईकमान को सिंगल लाइन प्रस्ताव भेजा तथा हाईकमान ने शिमला में ही रहकर चुनाव करने की बात कही। मुख्यमंत्री बन जाती लेकिन हिमाचल प्रदेश में मंडी जिला में जयराम ठाकुर ने 10 में से 9 सीट भाजपा को दिला कर प्रतिभा सिंह के सपने को चकनाचूर कर दिया। सवाल उठाए की मंडी में अगर लोकसभा के लिए उपचुनाव करवाया जाता है तो उस स्थिति में सिंह को त्यागपत्र देना होगा। कांग्रेस हाईकमान नहीं चाहता था की जानबूझकर मुसीबत मोल ली जाए ताकि जो कांग्रेस की हाइट हिमाचल में बनी है उस पर कोई प्रश्न उठे। सभी विधायकों ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को विधायक दल का नेता चुना वह मुख्यमंत्री बन गए। मंत्री का पद पहली बार पंडित मुकेश अग्निहोत्री के हिस्से आया हमीरपुर तथा ऊना जिला को प्रतिनिधित्व मिल गया। अब बारी विधायकों को शपथ दिलाने तथा मंत्रिमंडल विस्तार की थी। अलग-अलग जिलों को प्रतिनिधित्व मिलेगा। मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार रहता है मंत्रिमंडल का चुनाव। सुखविंदर सिंह सुक्खू राजस्थान में राहुल गांधी की पदयात्रा में शामिल होने के लिए कांग्रेस के 40 विधायकों के साथ राजस्थान पहुंचे। उसके बाद वह कोरोना चपेट में आए। प्रोटोकॉल को निभा कर हिमाचल पहुंचे। उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा बिट्टू को बनाया कैबिनेट का दर्जा मिला। उनके ओएसडी गोपाल शर्मा बने। नरेश चौहान उनके मीडिया सलाहकार। सोशल मीडिया का भी जिम्मा कांगड़ा जिले को मिला। पेपर लीक मामले में बड़ी कार्रवाई की हिमाचल प्रदेश एसएससी को सस्पेंड किया गया। 574 ऑफिस डिनोटिफाई किए। सुखविंदर सिंह सुक्खू यारों के यार हैं दिलदार हैं कोई चापलूसी चाटुकारिता करता है तो उसे रोक भी देते हैं। प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की जमकर सराहना भी की जा रही है। भारतीय जनता पार्टी के कई नेता उत्साहित होकर उनका विरोध भी कर रहे हैं। लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू की नजरें हिमाचल के विकास पर हैं। विधानसभा सत्र धर्मशाला में होगा उसकी तैयारियां की जा रही हैं। मंत्रिमंडल में भी महत्वपूर्ण लोगों को स्थान मिलेगा। हमीरपुर जिला की जनता गदगद है 1998 में जो रिकॉर्ड भारतीय जनता पार्टी के नाम दर्ज हुआ था 5 सीटें जीतकर कांग्रेस का सफाया कर भाजपा की सरकार बनी थी मुख्यमंत्री बने थे प्रेम कुमार धूमल। इस बार कांग्रेश 4 सीटों पर जीती हमीरपुर जिला में एक सीट निर्दलीय अशीष शर्मा जीते। आशीष शर्मा भी शिमला पहुंचे तथा सुखविंदर सिंह सुक्खू का साथ देने की हामी भरी। हिमाचल के युवाओं को सुखविंदर सिंह सुक्खू से बड़ी उम्मीद है। प्रदेश के कर्मचारियों को ओ पी एस मिलने की उम्मीद है। हिमाचल प्रदेश की 18 से 60 साल की महिलाओं को 1500 पेंशन।

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