दियोटसिद्ध/ सतीश शर्मा विट्टू टॉप न्यूज़ हिमाचल
हिमाचल प्रदेश में अनेकों धर्मस्थल प्रतिष्ठित हैं, जिनमें बाबा बालक नाथ धाम दियोट सिद्ध उत्तरी भारत में एक दिव्य सिद्ध पीठ है। यह पीठ हमीरपुर से 45 किलोमीटर दूर दियोट सिद्ध नामक सुरम्य पहाड़ी पर है। इसका प्रबंध हिमाचल सरकार के ट्रस्ट केअधीन है। वर्तमान में न्यास के अध्यक्ष एसडीम शशि पाल शर्मा है। हमारे देश में अनेकानेक देवी-देवताओं के अलावा नौ नाथ और चौरासी सिद्ध भी हुए हैं जो सहस्त्रों वर्षों तक जीवित रहते हैं और आज भी अपने सूक्ष्म रूप में वे लोक में विचरण करते हैं। भागवत पुराण के छठे स्कंद के सातवें अध्याय में वर्णन आता है कि देवराज इंद्र की सेवा में जहां देवगण और अन्य सहायकगण थे वहीं सिद्ध भी शामिल थे। नाथों में गुरु गोरखनाथ का नाम आता है। इसी प्रकार 84 सिद्धों में बाबा बालक नाथ जी का नाम आता है।
बाबा बालक नाथ के बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म जूनागढ़ गुजरात में हुआ था। उनकी बचपन से ही इच्छा धर्म के प्रति थी। गुरु दत्तात्रेय से उन्होंने शिक्षा लेकर अपना घर बार छोड़कर वह घूमते हुए कुरुक्षेत्र पहुंचे थे। किवदंती है कि कई स्थानों पर घूमने के बाद बाबा बालक नाथ बचछरएटू बिलासपुर जिला में पहुंचे उसके बाद घूमते हुए शाहतलाई में उनकी माता रत्नों से मुलाकात हुई। 12 साल तक उन्होंने माता रत्ना की गाएं चराने का कार्य किया। इसी स्थान पर उनकी मुलाकात गुरु गोरखनाथ के साथ हुई हुई। गुरु गोरखनाथ उन्हें अपना चेला बनाना चाहते थे लेकिन बाबा बालक नाथ को यह पसंद नहीं था। गुरु गोरखनाथ में बाबा बालक नाथ की कई परीक्षाएं ली। परीक्षा में बाबा बालक नाथ सफल रहे परंतु गुरु गोरखनाथ उन्हें अपना चेला नहीं बना सके। बाबा बालक नाथ के समकालीन राजा भरतरीहरी भी गोरखनाथ के शिष्य थे। लेकिन उन्होंने गोरखनाथ का साथ छोड़ कर बाबा बालक नाथ के साथ भक्ति का मार्ग चुना। शाहतलाई से बाबा बालक नाथ धौल गिरी पर्वत पर उडारी मारकर पहुंच गए। उस पहाड़ी पर उनकी मुलाकात गुफा में एक राक्षस रहता था उससे हुई। बाबा बालक नाथ ने राक्षस को गुफा खाली करने के लिए कहा लेकिन कुछ शर्तों के बाद ही राक्षस गुफा खाली करने के लिए राजी हुआ। बाबा बालक नाथ से राक्षस ने वरदान दिया था की बाबा बालक नाथ के लिए तो लोग रोट प्रसाद लेकर आएंगे मुझे क्या मिलेगा। बाबा बालक नाथ ने श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होने पर मंदिर में बकरे चढ़ाने का आशीर्वाद दिया था। विवाह बालक नाथ मंदिर में मन्नते पूरी होने पर लोग बकरे भी चढ़ाते हैं जिससे न्यास को अब तक करोड़ों रुपए की आय हो चुकी है।इस महीने जेठे रविवार से बालक नाथ में मेले शुरू होंगे मेलों के दौरान मंदिर को दिन-रात खुला रखा जाता है। रूपए का चढ़ावा मंदिर में श्रद्धालु चढ़ाते हैं। देश-विदेश से श्रद्धालु सोना चांदी विदेशी मुद्रा सहित विभिन्न खाने पीने के सामान भी दान करते हैं। हाल ही में विदेश में रहने वाले श्रद्धालुओं द्वारा बाबा बालक नाथ के लिए सोने का सिंहासन दान किया गया है। इससे पूर्व बाबा बालक नाथ की गुफा के लिए सोने का दरवाजा भी लगवाया गया है। चैत्र मास मेलों की टॉप न्यूज़ की ओर से सब को कोटि-कोटि बधाई।