रामायण से जीने की मिलती है उत्तम शिक्षा-कैप्टन संजय
-रक्कड़ की श्रीराम लीला कमेटी को पराशर ने दिए 41 हजार रूपए
रक्कड़-सतीश शर्मा।
कैप्टन संजय ने कहा है कि रामायण भोग नहीं, त्याग की गाथा है। रामायण में त्याग की प्रतियोगिता चल रही है और बड़ी बात यह भी है कि इसमें सभी प्रथम स्थान पर हैं। बलिदान के मामले में कोई पीछे नहीं है। भगवान श्री राम और उनके भाईयों का प्रेम व समपर्ण आज के स्वार्थी होते जा रहे युग में भी मिल-जुल कर रहने की शिक्षा देता है। श्री राम सेवा समिति, रक्कड़ द्वारा करवाई जा रही श्रीरामलीला में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे पराशर ने कहा कि रामायण के हर पात्र में कोई न कोई विशेषता जरूर है। अगर प्रभु श्रीराम के साथ माता सीता और लक्ष्मण वनवास के लिए गए थे, तो उर्मिला का वनवास भी तो गजब का था। हनुमान जी की सेवा भावना का कोई मुकाबला नहीं हो सकता है। पराशर ने कहा कि श्रीराम एक आदर्श भाई अौर न्याय प्रिय राजा थे। उन्होंने अपना सारा जीवन मर्यादा में रहकर व्यतीत किया। उन्होंने कहा कि वंश के राजा होने के बावजूद भी उन्होंने कभी भी अभिभान नहीं किया, बल्कि सहनशील व विनम्र भाव से युक्त होकर अपना सारा जीवन मानवता को एकजुट कर और प्रेम से रहने के लिए समर्पित कर दिया। आज भी समाज में उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करके अपने जीवन को सफल बनाया जा सकता है। कहा कि प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन से यह बताया और सिखाया कि संसार में कोई छोटा या कोई बड़ा नहीं होता। कोई उच्च वर्ग का या कोई निम्न वर्ग का नहीं होता है। प्रभु श्रीराम वन में वनवासियों और आदिवासियों की तरह ही रहे। उनका केवट, जटायु, संपाती, शबरी, वानर और रीछ आदि कई जनजातियों ने साथ दिया। भगवान श्री राम ने अपने जीवन में सभी से समान और सम्यक व्यवहार रखा। न किसी को राजा समझा और न रंक। न शक्तिशाली समझा और न कमजोर। उन्होंने पशु और पक्षियों के साथ भी वैसा ही व्यवहार किया, जैसे कि एक मनुष्य के साथ किया जाता है। उनका विनम्र आचरण और अपने से बड़ों और छोटों सबको सम्मान देना हम सबको एक सीख देता है। संजय ने कहा कि रामायण से सबसे बड़ी सीख हमें मिलती है कि बुराई से सदैव दूर रहना चाहिए। हर कार्य को सच्चे और अच्छे मन से करना चाहिए। रामायण से सीख मिलती है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली या बड़ी क्यों न हो, एक न एक दिन अच्छाई की विजय अवश्य होती है। इसलिए बुरे कर्म करने से सदैव बचना चाहिए। कैप्टन संजय ने रामलीला के सफल संचालन के लिए आयोजकों पविन्द्र सिंह बबली, सतवीर सिंह ठाकुर, स्वामी जी, सुखदेव और प्रभात सिंह को बधाई दी और श्रीरामलीला कमेटी को 41 हजार रूपए का योगदान दिया। इस मौके पर रक्कड़ के पूर्व प्रधान संजय धीमान और संदीप कुमार चेला भी मौजूद रहे।
देहरा की दंगल कमेटी को पराशर ने दिए 1,11,111 रूपए
कैप्टन संजय ने रविवार देर शाम को कांजूपीर दंगल कमेटी द्वारा आयोजित छिंज मेले में पहुंचे। मुख्य अतिथि पराशर ने अपने संबोधन में कहा कि छिंज मेले हमारी विराट संस्कृति का हिस्सा हैं और यह प्रसन्नता की बात है कि सदियों से चले आ रहे ऐसे आयोजन अब भी हो रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने दंगल कमेटी को एक लाख, ग्यारह हजार, एक सौ ग्यारह रूपए का योगदान दिया। प्रतियोगिता में विजेता रहे पहलवानों को पराशर ने पुरस्कृत भी किया।