आम आदमी पार्टी पर बड़सर विधानसभा क्षेत्र के विधायक इंदरदत लखन पाल की टिप्पणी

बड़सर। सतीश शर्मा।दिल्ली से आकर टीका टिपण्णी करना बहुत आसान होता है। बहुत आसान होता है किसी का भी चरित्र हरण कर लेना। लेकिन जनता का प्यार कमाना उतना ही मुश्किल होता है। कभी हिमाचल के गांव में जाइये साहिब। और जब जाएंगे तो सोचियेगा कि यहाँ तक सड़क कैसे आई होगी। समतल राज्यों की तुलना में यहाँ सड़क बनाना कितना मुश्किल और खर्चीला है शायद आपको समझ आये। जब हिमाचल का गठन हुआ था तो मात्र 335 किलोमीटर सड़क थी जिसपर वाहन चलाये जा सकते थे। आज ये आंकड़ा 39000 किलोमीटर से अधिक है। ये सपना था हमारे पहले मुख्यमंत्री श्री यशवंत सिंह परमार जी का जिसके लिए उन्होंने अथक परिश्रम भी किया। आपकी तरह हर राज्य में जाकर केवल बड़ी बड़ी बातें नहीं की।

कांग्रेस पार्टी ने जब 1971 में ये राज्य बना तभी से स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन पर अभूतपूर्व कार्य किया। इसी का नतीजा रहा की जहाँ हमारे यहाँ भारत की आबादी का मात्र 0.57% हिस्सा आवास करता है वहां सब डिविशनल हॉस्पिटल्स की संख्या उन राज्यों से ज़्यादा है जहाँ भारत की आबादी का 9% तक हिस्सा आवास करता है। अर्थ ये है कि हमसे 16 गुना अधिक आबादी वाले राज्यों में वो स्वास्थ्य सुविधा (सरकारी) नहीं है जो हमारे लोगों को है। कहा जाता है कि केरल का स्वास्थ्य मॉडल भारत में सर्वश्रेष्ठ है। लेकिन हमारी स्वास्थ्य पालिसी का नतीजा है कि जहाँ केरल में अस्पताल में भर्ती होने वाले कुल मरीज़ों में से केवल 27% मरीज़ ही सरकारी अस्पताल में भर्ती होते हैं, हमारे यहाँ ये आंकड़ा 66 % से ज़्यादा है, जो सरकार का स्वास्थ्य क्षेत्र की ओर खर्चा तथा लोगों के मन में सरकारी सेवा पर विश्वास दिखाता है।

और ये सब एक दिन में नहीं हुआ है। प्रदेश में रही हर सरकार ने इसमें अपनी भूमिका निभायी है। देश गरीबी से गुज़रा, प्रदेश गरीबी से गुज़रा लेकिन ग्रामीण विकास चलता रहा। मैं ये नहीं कहता के सब दुरुस्त हो गया है और अब कुछ करने की ज़रूरत नहीं है। बेशक कमियां हैं, लेकिन उन्हें दूर करने के लिए ही हम विधायक बने हैं, कुछ लोग अफसर बने हैं, कुछ एक्टिविस्ट हैं और कुछ आम आदमी। हम सब मिलकर अपने प्रदेश में जो कुछ किया जा सकता है ज़रूर करेंगे। लेकिन आपकी तरह झूठ का सहारा नहीं लेंगे। हमारे प्रथम मुख्यमंत्री जब पद से हटे थे तो बस में वापिस गए थे। आपकी तरह नहीं कहा था की कोई सुविधा नहीं लूंगा और आज 5 स्टार में रहते हैं, गाडी, बत्ती, झंडी, डंडी सब लगाते हैं। हम विज्ञापन देना आप जितना तो नहीं सीख पाएंगे लेकिन कोशिश ज़रूर करेंगे कि हमारा काम भी जनता तक पहुंचे। आप भी शिष्टाचार रखिये। आप के लिए 2 पंक्तियाँ कहना चाहूंगा –

हर एक बात पे तुम कहते हो के तू क्या है,
तुम्ही बताओ ये अंदाज़-ए-गुफ्तगू क्या है !!

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