आम आदमी पार्टी की हिमाचल प्रदेश में दस्तक को हल्के में लेना सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों बड़े राजनीतिक दलों को हो सकती है आत्मघाती सिद्ध

सुजानपुर में पूर्व सैनिकों के साथ कई लोग आम आदमी पार्टी ज्वाइन करने के लिए लगा रहे जुगाड़

सुजानपुर के पूर्व सैनिक ने किया खुलासा आम आदमी पार्टी के बड़े नेता से मिलकर नई पारी की शुरुआत की तैयारी पिछले 8 सालों से भाजपा के साथ जुड़े पूर्व सैनिक के तेवर काफी सख्त है। मिली जानकारी के अनुसार आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं के साथ मिलकर भाजपा को सुजानपुर में झटका देने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। ग्राम केंद्रों से जुड़े लोगों को लेकर आम आदमी पार्टी की सदस्यता के लिए बिसात बिछाई जा रही है।

पंजाब में एक तरफा सत्ता हासिल करने के उपरान्त आम आदमी पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में जबरदस्त हलचल मचा दी है। हिमाचल प्रदेश के सभी बारह जिलों में हर दिन हजारों की संख्या में सदस्यों का आम आदमी पार्टी से जुड़ना सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए सचमुच खतरे की घंटी से कम नहीं है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश के दोनों बड़े राजनीतिक दलों कांग्रेस व भाजपा के लिए तीसरे विकल्प ने चुनौती खड़ी कर दी है। अब भविष्य ही तय करेगा कि आगामी विधानसभा चुनावों में सत्ता पक्ष और विपक्ष में से कौन धराशाही होगा और कौन जनता के दिलों में बस कर राज करेगा।
आपको बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश में बढ़ती महंगाई का कहर व कर्मचारियों की मांगों पर सरकार की ढुलमुल नीति और महंगी बिजली का मुद्दा आम आदमी पार्टी के हाथ बड़ी आसानी से लग चुका है और सत्ता पक्ष द्वारा हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में चुनावी घोषणापत्र में किए गए वायदों की फेहरिस्त भी बड़ी लम्बी है, जिसका निश्चित तौर पर आम आदमी पार्टी का आक्रमक रूख रहेगा। जबकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में ही बल्ह हवाई अड्डे का लम्बित रहना भी बहुत बड़ा उदाहरण है। इसी तरह कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, चम्बा, कुल्लू में व्यास, सतलुज, रावी नदियों पर चिर प्रतीक्षित पुलों के काम अधूरे पड़े हैं। तथा सत्ता पक्ष जब-जब हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आया है, हर बार जिला ऊना के सतलुज नदी पर बनने वाला मंदली-बंगाणा पुल भी घोषणापत्र और घोषणाओं में ही लटकता नजर आया है। इसके अतिरिक्त आम आदमी पार्टी के हाथ हिमाचल प्रदेश में उद्योगों को विकसित करने की गर्ज से ब्राडगेज रेलवे लाईन विस्तार का मुद्दा भी जोर पकड़ सकता है।
इसके साथ ही हम अगर बात करें तो हिमाचल प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर आम आदमी पार्टी से युवक व युवतियों का लगातार हजारों की संख्या में जुड़ना वर्तमान सरकार के लिए दिन प्रतिदिन चिंता को बढ़ाने वाला है। आम आदमी पार्टी का संगठनात्मक ढांचा उतरोतर सुदृढ़ होता देखकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की भी धरती खिसकती नजर आ रही है। नतीजन, हिमाचल प्रदेश में धड़ों में बंटी कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री पद के हर जिलों से दावेदारी भी महंगी साबित होने वाली है। ऐसे में आने वाले दिनों में आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविन्द केजरीवाल मुख्यमंत्री दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के 6 अप्रैल को प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में प्रस्तावित रोड शो आयोजित करने के प्रचार- प्रसार ने भी पहली बार हिमाचल प्रदेश में तीसरे विकल्प को धमाकेदार उपस्थिति के रूप में देखा जा रहा है। बहरहाल, सत्ता पक्ष और विपक्ष बारी बारी पिछले 75 सालों से हिमाचल प्रदेश में सत्ता पर काबिज रहा है। वहीं, राजनीतिक गलियारों व जानकारों का कहना है कि अकेले कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में 55 वर्ष तक सत्ता संभाली है, जिसमें हिमाचल बनने से पहले की प्रि-कौंसिल की सरकार सम्मिलित रही है। जबकि दूसरे दाल में जनता पार्टी व भारतीय जनता पार्टी ने कुल 20 वर्ष राज किया है, जिसमें शांता कुमार जी तो अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सके हैं। एक विचारणीय पहलु यह भी है कि छह बार कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री बनने वाले स्वर्गीय वीरभद्र सिंह जी कभी भी अपनी सरकार को रिपीट नहीं कर पाये थे।
इन्हीं आधारसूत्रों के अनुसार राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो वर्तमान मुख्यमंत्री का मिशन रिपीट भी संदेह के घेरे में हो सकता है। क्योंकि भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल भी मिशन रिपीट में बुरी तरह पराजित हो गए थे। लेकिन जयराम सरकार का दुखद पहलु यह भी रहा है कि तीन सालों तक हिमाचल प्रदेश व देश में कोरोनावायरस महामारी-महायुद्ध ने सरकार की विभिन्न विकासोन्मुखी योजनाओं को अधर में लटकाए रखा है। फिर भी सरकार ने भरसक कोशिश करके चुनावी घोषणापत्र को अंतिम अमलीजामा पहनाने हेतु एड़ी-चोटी का जोर लगाया हुआ है, किंतु विधानसभा चुनावों के लिए मात्र छह महीने का समय बचा है। ऐसे में कयास भी लगाए जा रहे हैं कि सितम्बर माह में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है। जबकि एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में मध्यावधि चुनावों की सिफारिश की भी संभावनाएं भी जताई जा रही है। वहीं, जानकारों का कहना है कि इस समय कांग्रेस धड़ों में बंटी हुई है। तीसरा विकल्प आम आदमी पार्टी अभी तक हिमाचल प्रदेश में पूरी तरह अपने पैर नहीं जमा पाई है। ऐसे में अगर विधानसभा भंग करने की सिफारिश करके चुनाव करवाए जायें तो शायद सत्ता पक्ष कोई करिश्मा करके सत्ता हासिल कर सकती है किन्तु इसकी संभावना बहुत ही कम दिखाई देती है। परंतु आम आदमी पार्टी बड़े जोर शोर से हिमाचल प्रदेश में हावी होती जा रही है और पार्टी के पास छह महीने का समय पर्याप्त है इसमें लाखों लोगों के आम आदमी पार्टी से जुड़ने का अनुमान भीी लगाया जा रहा है।
एक सर्वेक्षण के अनुसार हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी का वोट बैंक 40 फीसदी आंका जाने लगा है। इसके मुताबिक आम आदमी पार्टी को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में पचास का आंकड़ा हासिल हो जाये तो सत्ता पक्ष और विपक्ष का विचलित होना लाजिमी है। बरहाल हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी के तीसरे विकल्प ने सत्ता पक्ष और विपक्ष की नींद जरूर उड़ाई है।

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