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कारगिल युद्ध में ही हुआ था ताबूत घोटाला, कैग रिपोर्ट के आधार पर हुआ था मामला दर्ज
-तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस को देना पड़ा था अपने पद से त्याग पत्र
– उस समय भी केंद्र में और प्रदेश में थी भाजपा की सरकार और आज भी केंद्र और प्रदेश में है भाजपा की सरकार
मंडी। सतीश शर्मा।
👉हिमाचल प्रदेश के तीन विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उप चुनावों में जनता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अब तक के कार्यकाल और केंद्र सरकार के फैसलों को देखकर मोहर लगाएगी, यह तो तय है। वैसे भी हिमाचल प्रदेश में होने जा रहे उप चुनावों की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर आ गई है। क्योंकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी संसदीय क्षेत्र से आते है।
तीन विधानसभा क्षेत्रों के अलावा एक उप चुनाव मंडी लोकसभा के लिए भी हो रहा है।
वैसे, मंडी उप चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे भी अहम भूमिका अदा करेंगे। मंडी लोकसभा के लिए भाजपा ने सेना के सेवानिवृत ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। खुशाल ठाकुर कारगिल युद्ध में द्रास सैक्टर में तैनात रहे हैं। इस युद्ध में उनके शौर्य के लिए उन्हें कई पदकों से सम्मानित भी किया गया है। भाजपा इस उप चुनाव को पूरी तरह कारगिल युद्ध और सैनिक सम्मान तथा राष्ट्रभक्ति के गिर्द केंद्रित करने का प्रयास कर रही है। कारगिल विजय एक बड़ा मुद्दा है और इसमें भाग लेने वाला हर सैनिक सम्मान का पात्र है। लेकिन इसी युद्ध को लेकर कुछ गंभीर सवाल भी उठे हैं जिनका जबाव आज तक नही आया है। आज जब इस चुनाव में भाजपा ने उस सैनिक को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिसे कारगिल हीरो कहा जाता है और भाजपा अपने चुनाव प्रचार में राष्ट्रभक्ति तथा सैनिक सम्मान को बड़ा मुद्दा बना रही हैं, तब उन सवालों का फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा के परिदृश्य में पूछा जाना बहुत प्रसांगिक हो जाता है। क्योंकि तब भी केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार थी और आज भी केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है।
यह युद्ध 1999 में 3 मई से 26 जुलाई तक 60 दिन चला था। इस युद्ध में अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 527 जवानों की शहादत और 1363 जवान जख्मी हुए। इस युद्ध में ताबूत घोटाला हुआ था जिसमें तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस को पद से त्याग पत्र देना पड़ा था। उन्हीं की समता पार्टी की अध्यक्षा जया जेटली के खिलाफ मामला बना था। सीबीआई ने इस प्रकरण की जांच की थी। सैन्य अधिकारियों और अमेरिका के ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। आरोप था कि जिस कंपनी से शहीद जवानों के लिए ताबूत और बैग खरीदे गए थे, वह कंपनी इन्हें बनाती ही नहीं थी। उस समय अल्यूमिनियम का ताबूत 2500 डॉलर और बैग 85 डॉलर में खरीदा गया था। इस दौरान कुछ और सैन्य सामान भी अमेरिका से खरीदा गया था। कैग ने अपनी रिपोर्ट में इस 2400 करोड़ की खरीद पर गंभीर सवाल उठाए थे। कैग रिपोर्ट पर ही सीबीआई ने अमेरिका की कंपनी और तीन सैन्य अधिकारियों तथा अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।लेकिन सीबीआई इस मामले में अमेरिका की कंपनी के अधिकारियों के बयान नहीं ले पाई और अंत में 2015 में सर्वोच्च न्यायालय से आरोपियों को क्लीन चिट मिल गई।
1999 के इस युद्ध के बाद भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण के खिलाफ एक सैन्य डील प्रकरण में रिश्वत लेने के आरोप लगे। सीबीआई ने मामला दर्ज किया। एक अदालत से बंगारू लक्ष्मण को सजा भी हुई। लेकिन इसी युद्ध का महत्वपूर्ण मामला कारगिल ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह का है। सुरेंद्र सिंह ने इस युद्ध में कई सैन्य अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। दो दशकों से उनका मामला सैन्य न्यायिक प्राधिकरण चंडीगढ़ में लंबित है। ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह ने यह सवाल उठाते हुए एक लेख लिखा, जो कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में भी छपा है।
ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह द्वारा उठाए गए सवालों को राष्ट्रीय सुरक्षा के परिदृश्य में नजर अंदाज करना सही नहीं होगा। आज जब ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर सतारूढ़ पार्टी के साथ सक्रिय राजनीतिक भूमिका में आ गए हैं, तब उनसे यह अपेक्षा रहेगी की वह इन सवालों का जबाव राष्ट्र के सामने लाने का वैसा ही सहास दिखाएं जैसा उन्होंने कारगिल युद्ध में दिखाया था।